19 मार्च, 2020 को केंद्र और राज्यों के लिए राजकोषीय समेकन का रोड मैप बनाने के लिए वित्त आयोग ने श्री एन.के. सिंह की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है।
वित्त आयोग ने अपनी पहली रिपोर्ट फरवरी 2020 में भारत सरकार को सौंप दी थी। वित्त आयोग अपनी अंतिम रिपोर्ट 30 अक्टूबर तक सौंपेगा, इसमें वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 को कवर किया जाएगा। एन.के. सिंह समिति घाटे और ऋण की परिभाषा की सिफारिश करेगी। यह समिति सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की आकस्मिक देनदारियों को भी परिभाषित करेगी।
राजकोषीय समेकन सरकार द्वारा घाटे को कम करने के लिए अपनाई गई नीति है। इसका मुख्य उद्देश्य सरकार की प्रशासनिक लागत को कम करना है। राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003 (FRBMA) भारत सरकार के राजकोषीय समेकन के लिए सबसे अच्छा उदाहरण है।
इस अधिनियम का उद्देश्य राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3% तक कम करना है। इसके तहत 2006 तक घाटे को खत्म करने का लक्ष्य रखा गया था। हालाँकि, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संकट के कारण इसे हासिल नहीं किया जा सका। बाद में, एन के सिंह के नेतृत्व में अधिनियम के बदलाव के सुझाव के लिए 2016 में एक समीक्षा समिति का गठन किया गया था।
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