12 मार्च, 2020 को दिवाला और दिवालियापन (संशोधन) बिल, 2020 (Insolvency and Bankruptcy Amendment) संसद में पारित किया गया। पहले इस बिल को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था और अब राज्यसभा द्वारा पारित किया गया है।
इन संशोधनों को पहले अध्यादेश के रूप में प्रस्तुत किया गया था। संसद सत्र शुरू होने के बाद अध्यादेश को विधेयक के रूप में प्रस्तुत किया गया था। और अब इस विधेयक को संसद द्वारा पारित किया जा चुका है।
संशोधन का उद्देश्य दिवालिया कंपनियों के सफल बोलीदाताओं को आपराधिक कार्यवाही के जोखिम से बचाना है। कंपनी के पिछले प्रमोटरों से आपराधिक कार्यवाही की जायेगी।
अध्यादेश भारत के राष्ट्रपति द्वारा लागू किया गया कानून हैं। राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सिफारिश पर अध्यादेश जारी करता है। एक अध्यादेश तभी जारी किया जा सकता है जब संसद का सत्र जारी न हो।
अनुच्छेद 123 में भारत के राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने का अधिकार दिया गया है। संसद द्वारा 6 सप्ताह के भीतर अध्यादेश को मंजूरी दी जानी चाहिए। यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो अध्यादेश निष्प्रभावी हो जाता है।
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