18 फरवरी, 2020 को केन्द्रीय कैबिनेट ने असिस्टिड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी बिल को मंज़ूरी दी। इस बिल के द्वारा देश में एक राष्ट्रीय रजिस्ट्री की स्थापना की जायेगी।
इस बिल के माध्यम से एक राष्ट्रीय बोर्ड तथा राज्य बोर्ड की स्थापना की जाएगी, जिसके द्वारा कानूनी फ्रेमवर्क का क्रियान्वयन किया जाएगा। इस बिल में देश भर के बैंकों तथा क्लीनिक का केन्द्रीय डेटाबेस स्थापित करने का प्रस्ताव है। इसके द्वारा उन लोगों को चिन्हित करने में सहायता मिलेगी जो अवैध भ्रूण व्यापार व तस्करी में शामिल हैं।
असिस्टिड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (ART) का उपयोग बांझपन का उपचार करने के लिए किया जाता है। इस टेक्नोलॉजी के द्वारा महिला के शरीर से अंडे को निकालकर उसे पुरुष के शुक्राणु के साथ निषेचित करके भ्रूण का निर्माण किया जाता है।
भारत विदेशी जोड़ों के लिए सरोगेसी का हब बन चुका है। इसमें कुछ एक अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए कानून की आवश्यकता है। भारतीय विधि आयोग ने अपनी 228वीं रिपोर्ट में असिस्टिड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी के सन्दर्भ में उचित कानून के निर्माण की अनुशंसा की थी।
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