3 मार्च, 2020 को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के मामले पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। UNHCR ने सीएए को चुनौती देते हुए मामला दायर किया है। भारत भारत का मानना है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम देश का आंतरिक मामला है। और यह संवैधानिक रूप से मान्य है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 में पारित किया गया था। इस अधिनियम के द्वारा नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन किया गया है। इसके द्वारा 6 धार्मिक समुदायों (हिंदू, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी और सिख) को नागरिकता दी जायेगी, नागरिकता उन लोगों को दी जायेगी जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में प्रवेश किया है। इसमें मुस्लिम शामिल नहीं हैं। इसके अलावा, इसमें म्यांमार के रोहिंग्या और श्रीलंका के तमिल जैसे अन्य शरणार्थी भी शामिल नहीं हैं।
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