स्टडी मटेरियल

डेटा संचार एवं नेटवर्किंग

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डेटा एवं इनफार्मेशन को किसी अन्य स्थान पर भेजन डाटा संचार कहलाता है। नेटवर्क की भाषा में कहे तो जब दो या अधिक कंप्यूटर या कंप्यूटर नेटवर्क या अन्य कंप्यूटिंग डिवाइस के मध्य डिजिटल डाटा को ट्रांसमिट किया जाता हैं तो इसे डाटा कम्युनिकेशन कहा जाता हैं। दो डिवाइस के बीच कम्युनिकेशन स्थापित करने के लिए फिजिकल कनेक्शन या वायरलेस कनेक्शन का उपयोग किया जा सकता है। इन्टरनेट इसका सबसे अच्छा उदहारण है।

डाटा कम्युनिकेशन के प्रकार (Types of Data Communication) –

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यह दो उपकरणों के मध्य एकतरफा या यूनिडायरेक्शनल (unidirectional) संचार होता है जिसमें एक डिवाइस प्रेषक (Sender) होता है और दूसरा रिसीवर (Receiver) होता है।

सिम्पलेक्स सिस्टम (Simplex)

Simplex Communication System एक प्रकार का संचार चैनल है जो सुचना को केवल एक ही दिशा में भेजने का कार्य करता है। यह एक unidirectional system होता है। इसमें केवल एक device द्वारा ही डाटा का संचार किया जाता है और एक डिवाइस द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है जैसे – कीबोर्ड और CPU जिसमे कीबोर्ड से केवल डाटा भेजता है तथा cpu डाटा प्राप्त करता है।

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अर्ध-द्वैध संचार ( Half-Duplex Communication system) –

संचार का एक तरीका जिसमें डेटा को प्रसारित या प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन एक साथ प्रसारित और प्राप्त नहीं कर सकते है। सबसे सरल उदाहरण वॉकी-टॉकी है। जब दो लोग संवाद करने के लिए वॉकी-टॉकी का उपयोग करते हैं, तो किसी भी समय, उनमें से केवल एक ही बात कर सकता है जबकि दूसरा सुनता है। यदि दोनों एक साथ बात करने की कोशिश करते हैं, तो टक्कर होती है।

पूर्ण-द्वैध संचार ( Full-duplex communication) –

पूर्ण द्वैध संचार का एक सामान्य प्रकार का उदाहरण है – एक टेलीफोन कॉल। जहां दोनों पक्ष एक ही समय में संवाद करते है। हाफ डुप्लेक्स, तुलनात्मक रूप से, एक वॉकी-टॉकी वार्तालाप होगा जहां दोनों पक्ष बारी-बारी से बात करते हैं।

डाटा संचार की विशेषताएं –

Correct Destination :

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यह आवश्यक है कि डाटा कम्युनिकेशन के समय पैकेट को सही जगह पर भेजा जाए। डाटा निर्धारित डिवाइस एवं उपयोगकर्ता के पास ही पहुँचना चाहिए।

Accuracy :

भेजा जाने वाला डाटा सही होना चाहिये। यदि कोई डाटा अनुपयोगी है तो उसे छोड़ देना चाहिये जिससे वह अपने गंतव्य तक शुद्ध रूप में पहुचे।

Timelines :

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यह आवश्यक है कि डाटा एक निश्चित समय में अपने गंतव्य जगह तक पहुँच जाये। इसे रियल टाइम ट्रांसमिशन कहा जाता है। यदि डाटा में टेक्स्ट के अलावा वीडियो और ऑडियो के रूप में है तो वह भी सही समय पर डिलीवर होना आवश्यक है।

Jitter :

यह पैकेट के आने एवं जाने में समय के परिवर्तन को प्रदर्शित करता है। सामान्यतः पैकेट के आवागमन में असमान देरी ऑडियो या वीडियो में होता है। यदि पैकेट के पहुँचने में देरी होती है तो उसकी गुणवत्ता में गिरावट आ जाती है।

डेटा संचार दो या दो से अधिक केन्द्रों के मध्य डिजिटल या एनालॉग डेटा का स्थानान्तरण है, जो आपस में संचार चैनल से जुड़ा हुआ होता है।

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डाटा कम्युनिकेशन सिस्टम के कंपोनेंट :-

Message:

massage में संचार के लिये जानकारियाँ टेक्स्ट ,नंबर, पिक्चर ,वीडियो ,ऑडियो आदि के रूप में हो सकती है।

Transmission medium:

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ट्रांसमिशन मीडियम एक फिजिकल पथ के रूप में रहती है। ट्रांसमिशन मीडियम ट्विस्टेड पेअर केबल ,फिबर ऑप्टिकल केबल, coaxial केबल, एवं रेडियो वेव आदि के द्वारा किया जाता है। इसका कार्य डाटा को भेजना एवं प्राप्त करना होता है।

Protocol :

बिना प्रोटोकाल के दो डिवाइस जुड़ तो सकते है पर उनके बीच कम्युनिकेशन नहीं हो पाता। प्रोटोकॉल में निर्धारित नियमो का समूह होता है। इसमें दो डिवाइसों के कम्युनिकेशन के लिये समझौता किया जाता किया जाता।

Sender:

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सेंडर वह डिवाइस होता है जो मेसेज (डाटा) भेजता है। सेंडर के रूप में कंप्यूटर, वीडियो, कैमरा, वर्कस्टेशन, टेलिफोन हैंडसेट आदि हो सकते है।

Receiver:

रिसीवर वह डिवाइस होती हैं जिसमें हम जानकारियों को प्राप्त करते हैं। सेंडर की तरह ही रिसीवर कंप्यूटर, वीडियो, कैमरा, वर्कस्टेशन, टेलिफोन हैंडसेट आदि हो सकते है।

कंप्यूटर नेटवर्किंग –

दो या दो से अधिक कंप्यूटर को जब किसी माध्यम (wire और wireless) के जरिए एक दूसरे के साथ जोड़ा जाता है तो उसे नेटवर्क कहते हैं।

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कंप्यूटर नेटवर्किंग

दो या दो से अधिक कंप्यूटर को जब किसी माध्यम (wire और wireless) के द्वारा एक दूसरे के साथ जोड़ा जाता है तो उसे कंप्यूटर नेटवर्क कहा जाता हैं।

नेटवर्क के प्रकार –

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