10 अगस्त को प्रतिवर्ष विश्व जैव इंधन दिवस के रूप में मनाया जाता है, इसका उद्देश गैर-जीवाश्म इंधन के बारे में जागरूकता फैलाना है। जैव इंधन नवीकरणीय, प्राकृतिक रूप से नष्ट होने वाले (बायो-डिग्रेडेबल) तथा पर्यावरण के अनुकूल होते हैं।
इस दिन वर्ष 1893 में सर रुडल्फ़ डीजल (डीजल इंजन के आविष्कारक) ने पहली बार मैकेनिकल इंजन का परीक्षण सफलतापूर्वक किया था। उनके शोध से यह अनुमान लगाया गया था कि अगली शताब्दी में जैव इंधन, जीवाश्म इंधन का स्थान ले लेगा।
भारत में विश्व जैव इंधन दिवस का आयोजन पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व जैव इंधन दिवस प्रोग्राम को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में मनाया गया। इस दौरान एथेनॉल, बायो-डीजल, बायो-CNG और सेकंड जनरेशन जैव इंधन पर विचार विमर्श किया गया।
जैव इंधन के लाभ को देखते हुए सरकार इसे बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है। जैव इंधन के उपयोग से भारत की जीवाश्म इंधन पर निर्भरता कम होगी और इससे भारत के आयात में काफी कमी आएगी। केंद्र सरकार ने जून 2018 में राष्ट्रीय जैव इंधन नीति को मंज़ूरी दी, इसका उद्देश्य एथेनॉल को बढ़ावा देना है। भारत में जैव ईंधन सामरिक महत्व रखता है क्योंकि यह भारत में मेक इन इंडिया, कौशल विकास और स्वच्छ भारत अभियान जैसी चल रही पहलों के साथ अच्छी तरह से कार्य करता है। यह आयात में कमी, किसानों की आमदनी में वृद्धि , रोजगार , जैसे अवसर भी प्रदान करता है।
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