इस अधिनियम के द्वारा ब्रिटिश सरकार को किसी भी व्यक्ति को अधिकतम 2 साल तक आतंक के संदेह में कैद करने का अधिकार प्रदान किया था। 3 उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के साथ शीघ्र परीक्षणों के लिए एक पैनल की स्थापना की गयी थी। इस पैनल के ऊपर अपील की कोई अदालत नहीं थी। इस अधिनियम ने प्रेस पर गंभीर प्रतिबंध भी लगा दिए थे।
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