21 फरवरी, 2020 को महाराष्ट्र सरकार ने थाई मांगुर मछली प्रजनन केंद्रों को नष्ट करने का आदेश दिया। इसका मुख्य कारण यह है कि इस मछली की खेती अस्वच्छ परिस्थितियों में की जाती है।
महाराष्ट्र में इस मछली की प्रजाति को आमतौर पर थाई मांगुर या विदेशी मांगुर या अफ्रीकी मांगुर कहा जाता है। इस मछली की प्रजाति की खेती जिन अस्वच्छ परिस्थितियों में की जा रही है उससे लोग बीमार पड़ सकते हैं।
2000 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने थाई मांगुर की खेती पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब तक महाराष्ट्र सरकार ने 32 टन थाई मंगूर को नष्ट कर दिया है।
भारत में मांगुर मछली पर प्रतिबंध लगा दिया गया था क्योंकि यह मछली एक पारिस्थितिकी तंत्र में अन्य मछलियों के लिए खतरा बन गई थी। मुंबई में एक अध्ययन में स्पष्ट हुआ है कि मांगुर मछली के कारण स्थानीय मछली प्रजातियों में 70% की गिरावट आई है।
कई कमियों के बावजूद, मांगुर मछली की खेती और बिक्री इसकी जीवित रहने की क्षमता के लिए लोकप्रिय है। यह मछली 3 फीट से 5 फीट तक लंबी हो सकती है। यह मछली बारिश में कीचड़ के पानी में भी जीवित रह सकती है। अन्य कारक जैसे सर्वाहारी आहार, भूमि पर जीवित रहने की क्षमता और वनस्पति में छिपने की क्षमता इस मछली की प्रजाति को खेती के लिए आसान और किफायती बनाते हैं।
फ्रांस में 14 जुलाई को फ्रांस के राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है…
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT मद्रास) के शोधकर्ताओं द्वारा ‘PIVOT’ नामक एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-बेस्ड उपकरण…
प्राकृतिक खेती सम्मेलन 10 जुलाई, 2022 को आयोजित किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल…
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 6 जुलाई, 2022 को निर्माण श्रमिकों को उनकी क्षमताओं…
विश्व शांति मंच 2022 के दसवें संस्करण का आयोजन बीजिंग में सिंघुआ विश्वविद्यालय द्वारा किया…
संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिवर्ष विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिन…