महाराष्ट्र सरकार ने “थाई मांगुर” मछली प्रजनन केंद्रों को नष्ट करने का आदेश दिया February 23, 2020
21 फरवरी, 2020 को महाराष्ट्र सरकार ने थाई मांगुर मछली प्रजनन केंद्रों को नष्ट करने का आदेश दिया। इसका मुख्य कारण यह है कि इस मछली की खेती अस्वच्छ परिस्थितियों में की जाती है।
मुख्य बिंदु
महाराष्ट्र में इस मछली की प्रजाति को आमतौर पर थाई मांगुर या विदेशी मांगुर या अफ्रीकी मांगुर कहा जाता है। इस मछली की प्रजाति की खेती जिन अस्वच्छ परिस्थितियों में की जा रही है उससे लोग बीमार पड़ सकते हैं।
2000 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने थाई मांगुर की खेती पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब तक महाराष्ट्र सरकार ने 32 टन थाई मंगूर को नष्ट कर दिया है।
थाई मांगुर
भारत में मांगुर मछली पर प्रतिबंध लगा दिया गया था क्योंकि यह मछली एक पारिस्थितिकी तंत्र में अन्य मछलियों के लिए खतरा बन गई थी। मुंबई में एक अध्ययन में स्पष्ट हुआ है कि मांगुर मछली के कारण स्थानीय मछली प्रजातियों में 70% की गिरावट आई है।
इतनी लोकप्रिय क्यों?
कई कमियों के बावजूद, मांगुर मछली की खेती और बिक्री इसकी जीवित रहने की क्षमता के लिए लोकप्रिय है। यह मछली 3 फीट से 5 फीट तक लंबी हो सकती है। यह मछली बारिश में कीचड़ के पानी में भी जीवित रह सकती है। अन्य कारक जैसे सर्वाहारी आहार, भूमि पर जीवित रहने की क्षमता और वनस्पति में छिपने की क्षमता इस मछली की प्रजाति को खेती के लिए आसान और किफायती बनाते हैं।