स्टडी मटेरियल

भारत पर विदेशी आक्रमण

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पारसी (ईरानी) आक्रमण

भारत पर प्रथम विदेशी हमला ईरान के हखमनी वंश के राजाओं ने किया था। हखमनी वंश का संस्थापक साइरस-2 (कुरूष) था। भारत पर पहला विदेशी आक्रमण करने का असफल प्रयास 550 ईसा पूर्व में ईरान के सम्राट सायरस ने किया था।

ईरान के राजा कुरूष (साइरस) के उत्तराधिकारी डेरियस प्रथम (दारा-1) ने 516 ई.पू. में कम्बोज, पश्चिमी गांधार, सिंधु क्षेत्र पर विजय प्राप्त की थी। दारा प्रथम के तीन अभिलेखों बेहिस्तून, पर्सिपोलिस तथा नक्शे रुस्तम से यह सिद्ध होता है कि उसी ने सर्वप्रथम सिंधु नदी के तटवर्ती भारतीय भागों पर अधिकार किया था, जो की पारसी साम्राज्य का 20वां प्रांत बना।

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प्रभाव

यूनानी आक्रमण (मकदूनियाई आक्रमण)

सिकन्दर का भारत विजय अभियान

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पौरूष का युद्ध/झेलम का युद्ध/कर्री का युद्ध – (वितस्ता का युद्ध)

यह युद्ध पुरू/पौरूष तथा सिकन्दर के मध्य झेलम तथा चिनाब नदी के बीच लड़ा गया था जिसमे पुरू की हार हुई।

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बंदी होने से जब पोरस से पूछा गया कि वह कैसा बर्ताव चाहता है तो उसने कहा कि “जैसा एक राजा दूसरे राजा के साथ करता है”। पुरू की वीरता से प्रसन्न होकर सिकन्दर ने पुरू का सारा राज्य वापस लौटा दिया एवं पुरू से मित्रता कर ली।

पुरू के बाद सिकन्दर और आगे बढ़ा परन्तु सिकन्दर की सेना ने व्यास नदी पार करने से साफ़ मना कर दिया।

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सिकन्दर की सेना के व्यास नदी पार करने से इन्कार के कारण

सिकन्दर के बारे में तथ्य

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