स्टडी मटेरियल

तुगलक वंश (1320-1414 ई.)

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मोहम्मद बिन तुगलक द्वारा चलाई गयी प्रमुख परियोजनाएं-

  1. राजधानी परिवर्तन (1326-27 ई.)
  2. सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (1330 ई.)
  3. खुरासान अभियान
  4. कराचिल अभियान (1337 ई.)
  5. दो आब में कर वृद्धि (1325ई.)

गयासुद्दीन तुगलक

तथ्य

इब्न बतूता, वरनी, अबुफजल, बदायुंनी एवं निजामुद्दीन ने गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु का कारण जूना खां का षड़यंत्र के तहत निर्मित महल माना है।

मोहम्मद बिन तुगलक

1. राजधानी परिवर्तन (1326-27)

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2. सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (1330 ईo )

मोह्हमद बिन तुगलक ने चांदी की कमी के कारण ताम्बे एवं कांसे के सिक्के चलाये। इन सिक्कों का मूल्य चांदी के सिक्कों के बराबर घोषित कर दिया गया ।

जनता ने इस परिवर्तन को स्वीकार नहीं किया। बहुत अधिक मात्रा में नकली सिक्के बनने लगे। इसके बदले सुल्तान को खजाने से असली सिक्के देने पड़े जिससे खजाना खाली हो गया एवं योजना विफल हो गयी।

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3. खुरासान अभियान

सुलतान ने मध्य एशिया में स्थित खुरासान राज्य की अव्यवस्था का लाभ उठाकर वहां कब्जा करना चाहा। इसके लिए 3 लाख 70 लोगो की विशाल सेना तैयार की गयी तथा 1 वर्ष का वेतन पहले ही दे दिया परन्तु खुरासान में स्थिति सामान्य हो गयी एवं यह योजना भी विफल हो गयी।

खुरासान की सही भौगोलिक स्थिति के संदर्भ में मतभेद है बरनी ने इरान और फरिश्ता ने इरान तुरान के रूप में की है कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह स्थान मध्य एशिया का ट्रांस आक्सियाना क्षेत्र था।

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4. कराचिल अभियान (1337)

यह अभियान खुरासान के तुरंत बाद कुल्लू/कांगड़ा अथवा कुमाऊं पहाड़ी में स्थित कराचिल के शासक के विरूद्ध था इसमें सुल्तान को जन-धन की हानि हुई परन्तु कराचिल के शासक ने शासक ने सुल्तान की अधीनता स्वीकार कर ली।

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5. दो आब में कर वृद्धि (1325ई.)

मोहम्मद बिन तुगलक के असफल योजनाओं से राजकीय कोष में आर्थिक हानि हुई इसकी पूर्ति के लिए दोआब क्षेत्र की उपजाऊ भूमि पर कर में वृद्धि कर दी। दुर्भाग्य से इसी वर्ष इस क्षेत्र में अकाल पड़ गया। किसान एवं जमींदारों से कर वसूल करने में सख्ती बरती गयी। इस स्थिति में किसानों ने कृषि कार्य छोड़ दिया एवं उपज को आग लगा दी एवं शक्तिशाली जमींदारों ने विद्रोह कर दिया। इतिहास में संभवतः यह पहली बार हुआ था जब किसानों ने खेती बन्द कर दी। इस प्रकार सुल्तान की यह योजना भी विफल रही।

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अन्य तथ्य-

फिरोज शाह तुगलक

जजिया कर

यह एक गैर धार्मिक कर था। भारत में जजिया कर सर्वप्रथम मुहम्मद बिन कासिम ने लगाया। फिरोजशाह तुगलक ने ब्राह्मणों पर भी जजिया कर लगाया। अकबर-1 ने जजिया कर को समाप्त कर दिया था परन्तु औरंगजेब ने पुनः जजिया कर लगाया। फर्रूखसियार ने एक बार जजिया कर को समाप्त कर दिया था। परन्तु पुनः फर्रूखसियार ने जजिया कर लगाया। बाद में मुहम्मद शाह ने जजिया कर को बंद कर दिया था।

फिरोजशाह के उत्तराधिकारी

तुगलकशाह-2 , अबू वक्र, मुहम्मद शाह, हुमायुं खां, महमूद शाह।

महमूद शाह के शासन काल में मंगोल तैमूर लंग ने आक्रमण किया था।

तैमूर का भारत पर आक्रमण

तैमूर लंग

तैमूर उज्बेकिस्तान में जन्मा एक कट्टर तुर्क मुसलमान था। तैमूर ने तैमूरी राजवंश की स्थापना की। तैमूर, चंगेज खां की तरह समस्त संसार को अपनी शक्ति से रौंदना एवं सिकन्दर की तरह विश्व विजय की कामना रखता था। तैमूर विश्व के महानतम निष्ठुर एवं रक्त पिपासु आक्रमणकारियों में से एक था। तैमूर ने समरकंद के मंगोल शासक के मरने के बाद उसके समरकंद की गद्दी पर कब्जा कर लिया। अब तैमूर ने अपना विजय अभियान शुरू किया।

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1380 ई. से 1387 ई. के बीच उसने खुरासान, सीस्तान, फारस, अफगानिस्तान, अजरबैजान और कुर्दिस्तान को अधीन कर लिया तथा बगदाद से लेकर मेसोपोटामिया पर आधिपत्य कर लिया। अब भारत पर आक्रमण करने का निश्चय किया। एक दुर्घटना में वह लंगडा हो गया था इसलिए लंग नाम के साथ जुड़ा।

भारत पर आक्रमण के कारण –

तैमूर का आक्रमण

चंगेज खां एवं तैमूर के सिद्धांतों में अन्तर

तैमूर एवं चंगेज खां के आक्रमण में इतना अंतर था कि चंगेज खां जहां पूरी दुनिया को एक ही साम्राज्य से बांधना चाहता था परंतु तैमूर का इरादा सिर्फ लोगों को लूटना, धौंस जमाना, मारकाट था।

चंगेज के कानून में सिपाहियों को खुली लूट-पाट की मनाही थी लेकिन तैमूर सेना को लूट-पाट एवं कत्लेआम की खुली छूट थी।

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तैमूर को दरिंदा माने जाने के पीछे के कारण-

तैमूर आक्रमण का प्रभाव