वयस्क मानव (स्त्री तथा पुरूष) के शरीर की संरचना (morphology) का वैज्ञानिक अध्ययन, मानव शरीर-रचना विज्ञान या मानव शारीरिकी (human anatomy) के अन्तर्गत किया जाता है। मानव शरीर कई तन्त्रों से मिलकर बना हुआ है तंत्र, कई अंगों से मिलकर बनते हैं अंग, भिन्न-भिन्न प्रकार के ऊतकों से बने होते हैं ऊतक, कोशिकाओं से बने होते हैं। कंकाल तंत्र मानव शरीर को सख्त संरचना या रूपरेखा प्रदान करता है जो शरीर की रक्षा करता है। यह अस्थियों, उपास्थियों, शिरा (टेंडन) और स्नायु/ अस्थिरज्जु (लिगमेंट) जैसे संयोजी ऊतकों से बना है।
शरीर के विभिन्न कार्य पेशियों द्वारा होते हैं। कुछ पेशी समूह एक दूसरे के विरुद्ध भी कार्य करते हैं जैसे एक पेशी समूह हाथ को ऊपर उठाता है, तो दूसरा पेशी समूह हाथ को नीचे करता है, अर्थात् एक समूह संकुचित होता है, तो दूसरा विस्तृत होता है। पेशियाँ सदैव स्फूर्तिमय (toned) रहती हैं। शरीर जिन पांच तत्वों से बना है, क्रमानुसार वे हैं- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश। पृथ्वी तत्व से हमारा भौतिक शरीर बनता है। जिन तत्वों, धातुओं और अधातुओं से पृथ्वी (धरती) बनी उन्हीं से हमारे भौतिक शरीर की भी रचना हुई है।
मानव शरीर में पाए गए ग्यारह आम तत्व और कुल शरीर के वजन का प्रतिशत। अन्य ट्रेस तत्व (0.01% से कम) हैं: बोरॉन (B), cadmium (Cd), क्रोमियम (Cr), कोबाल्ट (Co), तांबा (Cu), फ्लोराइन (F), आयोडीन (I), लौह (Fe), मैंगनीज (Mn), मोलिब्डेनम (Mo), सेलेनियम (Se), सिलिकॉन (Si), टिन (Sn), वैनेडियम (V), और जिंक (Zn)।
मानव शरीर के विभिन्न अंग तंत्र हैं– पाचन तंत्र, परिसंचरण तंत्र, अंतःस्रावी तंत्र, उत्सर्जन तंत्र, प्रजनन तंत्र, तंत्रिका तंत्र, श्वसन तंत्र, कंकाल तंत्र और मासंपेशी तंत्र।
पाचन वह प्रक्रिया है, जिसमें जटिल कार्बनिक पदार्थों (Complex organic material) को जल अपघटनीय एंजाइमों के द्वारा सरल कार्बनिक पदार्थों में बदला जाता है।
यह दो प्रकार का होता है-
उपापचयी (मेटाबोलिक) क्रियायों के फलस्वरूप बने उत्सर्जी पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने की क्रिया को उत्सर्जन कहा जाता हैं। सजीव कोशिकाओं के अन्दर विभिन्न प्रकार की जैव-रासायनिक क्रियाएँ होती रहती हैं। इन क्रियायों के समय कुछ बेकार एवं विषैले पदर्थ उत्पन्न होते हैं जो कोशिकाओं अथवा शरीर के लिए उपयोगी नहीं होते हैं। यदि उन्हें शरीर में एकत्रित होने दिया जाए तो वे प्राणघातक भी हो सकते हैं।
इन्हीं पदार्थों को उत्सर्जन की क्रिया में शरीर बाहर निकाल देता है। कुछ हानिकारक एवं उत्सर्जी पदार्थ कार्बन डाईऑक्साइड, अमोनिया, यूरिया, यूरिक अम्ल तथा कुछ अन्य नाइट्रोजन के यौगिक हैं। ये पदार्थ जिन विशेष अंगों द्वारा शरीर से बाहर निकाले जाते हैं उन्हें उत्सर्जन अंग कहते हैं।
मानव जनन तंत्र अन्य जंतुओं की तुलना में ज्यादा विकसित तथा जटिल होते हैं, मानव एकलिंगी प्राणी है अर्थात मानव जनन तंत्र नर तथा मादा में अलग-अलग होते हैं। दोनो मानव जनन तंत्र में लैंगिक अंग तथा जनन ग्रंथियां मौजूद होती है।
कोशिकाओं के व्यवस्थित समूह को ही ऊतक कहा जाता हैं यही ऊतक मिलकर अंग का निर्माण करते हैं कुछ ऊतक या अंग विशेष प्रकार के रसायन एन्जाइम, हार्मोन का निर्माण करते हैं उन्हें ग्रंथि कहा जाता हैं। ग्रंथि शरीर की विभिन्न क्रियाओं को नियंत्रण करने करने के लिए एन्जाइम बनाती हैं।
ग्रंथियां तीन प्रकार की होती हैं
तंत्रिका तंत्र का निर्माण तंत्रिका कोशिका के द्वारा होता है तंत्रिका कोशिकाओं को न्यूरॉन के नाम से जाना जाता है न्यूरॉन शरीर की सबसे बड़ी या लंबी कोशिकाएं हैं। तंत्रिका कोशिकाओं में पुनरुदभवन की क्षमता सबसे कम होती है अर्थात मस्तिष्क में पुनरुदभवन की क्षमता सबसे कम होती है। यकृत मनुष्य के शरीर का ऐसा अंग है जिसमें पुनरुदभवन की संख्या सबसे ज्यादा होती है।
मनुष्य में तंत्रिका तंत्र निम्न भागों में विभक्त होता है :-
1. केंद्रीय तंत्रिका तंत्र
2. परिधीय तंत्रिका तंत्र