मानव में ग्रंथियां (glands)

कोशिकाओं के व्यवस्थित समूह को ही ऊतक कहा जाता हैं यही ऊतक मिलकर अंग का निर्माण करते हैं कुछ ऊतक या अंग विशेष प्रकार के रसायन एन्जाइम, हार्मोन का निर्माण करते हैं उन्हें ग्रंथि कहा जाता हैं। ग्रंथि शरीर की विभिन्न क्रियाओं को नियंत्रण करने हेतु एन्जाइम बनाती हैं।

ग्रंथि के प्रकार

ग्रंथियां तीन प्रकार की होती हैं

  • बाह्य स्त्रावी ग्रंथि (Exocriane Gland)
  • मिश्रित ग्रंथि (Mixed Gland)
  • अन्तःस्त्रावी ग्रंथि (Endocriane)

बाह्य स्त्रावी ग्रंथि (Exocriane Gland):

मानव शरीर में उपस्थित वे ग्रंथियां जो अपने द्वारा बनाई गई या उत्पन्न रासायनिकों क्रिया स्थल तक पहुँचने के लिए धमनी की नलिकाओं का इस्तेमाल करती हैं इसी कारण से इन्हें नालिकीय ग्रंथि भी कहते हैं यह मुख्य रूप से एन्जाइम बनाती हैं। उदाहरण – आँशु ग्रंथि, लार ग्रंथि, स्वेद ग्रंथि, श्लेष्मा ग्रंथी।

मिश्रित ग्रंथि (Mixed Gland):

वह ग्रंथि जो अपने द्वारा बनाए गए या निर्मित रसायन को क्रिया स्थल तक पहुंचने में कुछ दूरी तक तो अपने ही नलिकाओं का उपयोग करती हैं। लेकिन इसके बाद उस रसायन को रक्त के माध्यम से या अन्य किसी नालिका के माध्यम से क्रिया स्थल तक पहुँचाती हैं मिश्रित ग्रंथि कहलाती हैं। मानव शरीर में एक मात्र मिश्रित ग्रंथि अग्न्याशय ग्रंथि हैं।

अन्तःस्त्रावी ग्रंथि (Endocriane):

वे ग्रंथियां जो अपने द्वारा बनाई गई रसायन क्रिया स्थल पर पहुँचने में खुद की नलिकाओं का उपयोग नहीं करती इसी कारण से इन्हें नालिका विहीन ग्रंथि भी लाहा जाता है यह मुख्य रूप से हार्मोन्स का निर्माण करती है। कुछ अन्तःस्त्रावी ग्रंथिया –

  • पीयूष ग्रंथि
  • थायराइड ग्रंथि
  • परा अबटु ग्रंथि
  • थाइमस ग्रंथि
  • अग्न्याशय ग्रंथि
  • अधि व्रक्त ग्रंथि
  • जनन ग्रंथियां

1. पीयूष ग्रंथि (Pitutray Gland)

यह मानव शरीर की मुख्य ग्रंथि मानी जाती हैं जो कि मस्तिष्क में उपस्थित होती हैं यह सबसे छोटी ग्रंथि भी होती हैं इसका कुल वजन 0.6 ग्राम होता हैं इस ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन शरीर की भिन्न ग्रंथियों को अंगों को उत्प्रेरक के तौल पर नियंत्रण करते है। इसी कारण से इस ग्रंथि को मास्टर ग्रंथि भी कहा जाता है।

पीयूष ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन-

  • S. T. H. (Somato Tropic Hormone) हार्मोन/ शरीर वृद्धि हार्मोन
  • T. S. H. (Thyroid Stimulated Harmons)
  • G. T. H (Ganado Tropic harmons)
  • Lectogenic harmons

2. थाइरॉक्सिन ग्रंथि (Thyroxin Gland)

यह ग्रंथि गले में जोड़े के रूप में मौजूद होती हैं जो कि ट्रेकिया (श्वसन तंत्र का मध्य भाग) के दोनों तरफ स्थित होती हैं इससे निकलने वाला हार्मोन थायरोक्सिन शरीर में (रक्त में) आयोडीन की मात्रा का निर्धारण करता है।

थाइरॉक्सिन ग्रंथि के कार्य

  • यह कोशिकीय श्वसन की गति को तेज करता हैं।
  • यह शरीर की सामान्य वृद्धि विशेषतः हड्डियों, बाल इत्यादि के विकास के लिए अनिवार्य हैं।
  • जनन अंगों के सामान्य कार्य इन्हीं की सक्रियता पर आधारित रहते हैं।
  • पीयूष ग्रंथि के हार्मोन के साथ मिलकर शरीर में जल सन्तुलन का नियंत्रण करते है।

थाइरॉक्सिन की कमी से होने वाले रोग

  • जड़मानवता (Cretinism)
  • घेघां (Goitre)
  • हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism)
  • मिक्सिंडमा

जड़मानवता:- यह जन्म से पूर्व (गर्भावस्था में) आयोडीन की कमी होने से होता हैं इस रोग से शिशु का सम्पूर्ण शारीरिक एवं मानसिक विकास रुक जाता हैं।

घेघां:- भोजन में आयोडीन की कमी से यह रोग हो जाता हैं इस रोग में थायरॉयड ग्रंथि प्रभावित होती है तथा उसके आकार में बहुत वृद्धि हो जाती हैं।

हाइपोथायरायडिज्म:- लम्बे समय तक इस हार्मोन की कमी होने के कारण यह रोग होता हैं इस रोग के कारण सामान्य जनन-कार्य संभव नहीं हो पाता कभी-कभी इस रोग के परिणामस्वरूप मनुष्य गुगा एवं बहरा भी हो जाता हैं।

मिक्सिंडमा:- यौननावस्था में होने वाले इस रोग में उपापचय भली-भांति नहीं हो पाता, जिससे हृदय-स्पंदन तथा रक्त-चाप कम हो जाता है।

आयोडीन की अधिकता से होने वाले रोग

  • Toxin Goiter:- रक्त चाप (BP) बढ़ जाता हैं।
  • Exophthalmia:- नेत्र गोलक सूजन।

3. पराअबटु ग्रंथि (Thyroid Gland)

यह ग्रंथि भी गले में जोड़े के रूप में उपस्थित होती हैं, तथा इसके द्वारा निर्मित हार्मोन शरीर में (रक्त में) कैल्सियम की मात्रा का निर्धारण करता है।

4. थाइमस ग्रंथि (Thymus Gland )

यह ग्रंथि सीने में जोड़े के रूप में मौजूद होती हैं इससे बनने वाला हार्मोन शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखता हैं वृद्धावस्था में यह ग्रंथि काम करना बंद कर देती हैं। जिससे रोगप्रतिरोधक क्षमता में भी कमी आ जाती है और कई बीमारियां होने लगती हैं।

5. अग्न्याशय ग्रंथि (Pancreas Gland )

इसके द्वारा उत्पन्न रासायनिकों के बारे में सर्वप्रथम लैंगर हैंस (चिकित्सा वैज्ञानिक) के द्वारा बताया गया, इस ग्रंथि से एक पाचक रस निकलता हैं जिसका PH मान 6.5 से 8.2 तक होता हैं।

6. अधिव्रक्त ग्रंथि (Adrenal Gland)

अधिव्रक्त ग्रंथि अग्न्याशय के नीचे उपस्थित होती हैं तथा ये 2 प्रकार की होती है –

  1. Cortex
  2. Medula

Cortex:- यह बाहरी हिस्सा हैं इससे निकलने वाले हार्मोन रक्त में नमक, शर्करा, जनन ग्रंथि को नियत्रिंत करने में सहायक होते हैं। यह जीवन का नितांत आवश्यक हिस्सा होता हैं। इसकी अनुपस्थिति में जीवन केवल 2 सप्ताह का ही बचता हैं।

Medula:- यह अधिवृक्त ग्रंथि का आंतरिक हिस्सा होता हैं इससे निकलने वाले हार्मोन (एमीनों अम्ल) लगभग समान काम करते हैं इनसे शरीर में तनाव पैदा होता है।

इस ग्रंथि को 4S ग्रंथि (S – Salt, S – Sugar, S – Sex, S – Stress) कहा जाता हैं। हार्मोन के कारण इस ग्रंथि को (उड़ो, लड़ो, मरो) वाली ग्रंथि कहा जाता हैं।

7. जनन ग्रंथियां (Genital Gland)

यह ग्रंथियां महिलाओं एवं पुरुषों में अलग-अलग होती हैं। यह ग्रंथियां शरीर के तापक्रम पर काम नहीं करती इसी कारण से यह शरीर के बाहर उपस्थित एक मात्र अन्तः स्त्रावी ग्रथि होती हैं। इस ग्रंथि से Testestaron हार्मोन निकलता हैं। जो कि पुरुषों में वयस्कता को प्रदर्शित करता हैं।

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