G20: कोरल रीफ प्रोग्राम

September 28, 2020

16 सितंबर, 2020 को जी-20 पर्यावरण मंत्रियों की बैठक वर्चुअली आयोजित की गई थी। इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने किया। बैठक को G20 लीडर्स समिट, 2020 के लिए शेरपा ट्रैक के एक भाग के रूप में आयोजित किया गया था।

मुख्य बिंदु

इस बैठक में भूमि क्षरण को कम करने के लिए वैश्विक पहल की शुरुआत की गई। यह बैठक निम्नलिखित विषय के तहत आयोजित की गई थी :

थीम: Realizing opportunities of 21st century for all

इस बैठक में थीम के तहत तीन मुख्य एजेंडे को संबोधित किया गया।

वे इस प्रकार हैं :

  • लोगों को सशक्त बनाने के लिए, ऐसी परिस्थितियाँ बनाएँ जहाँ सभी लोग रह सकें, काम कर सकें और विकसित हो सकें। यह समूह इस एजेंडे को लागू करते समय महिलाओं और युवाओं पर विशेष ध्यान देगा।
  • सामूहिक प्रयासों के माध्यम से ग्रह की रक्षा करना
  • नई सीमाओं को आकार देने और दीर्घकालिक रणनीतियों और उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाना

भूमि क्षरण निम्नीकरण पर वैश्विक पहल (Global Initiative on Reducing Land Degradation)

इस पहल का मुख्य उद्देश्य मौजूदा ढांचे को मजबूत करना है। यह जी-20 सदस्य राज्यों के भीतर भूमि क्षरण को रोकेगा और इसे रिवर्स करेगा। यह कार्य सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के मार्ग में किया जायेगा।

सतत विकास लक्ष्य का उद्देश्य 2030 तक लैंड डिग्रेडेशन न्यूट्रैलिटी हासिल करना है।

कोरल रीफ प्रोग्राम (Coral Reef Programme)

इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रवाल भित्तियों के संरक्षण, रीस्टोरेशन और उन्हें अधिक क्षरण से बचाने के लिए अनुसन्धान और विकास को फ़ास्ट ट्रैक करना है।

शेरपा ट्रैक क्या है?

शेरपा ट्रैक मंत्रियों की बैठक है। शेरपा ट्रैक मुख्य रूप से शिक्षा, कृषि, जलवायु, डिजिटल अर्थव्यवस्था, भ्रष्टाचार विरोधी, रोजगार, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य, व्यापार और निवेश पर केंद्रित है।

भारत का रुख

भारत ने बैठक में अपने राष्ट्रीय तटीय मिशन कार्यक्रम पर प्रकाश डाला।

राष्ट्रीय तटीय मिशन कार्यक्रम (National Coastal Mission Programme)

इस मिशन को जलवायु परिवर्तन में राष्ट्रीय कार्य योजना के तहत स्थापित किया गया था। इस मिशन के तहत, भारत सरकार का उद्देश्य तटीय क्षेत्रों में तटरेखा और समुदायों की रक्षा करना है। साथ ही, यह तटीय क्षेत्रों में तटीय और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को संबोधित करेगा।

एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन परियोजना (Integrated Coastal Zone Management Project)

इसे 2010 में 1,400 करोड़ रुपये की लागत से लॉन्च किया गया था। यह परियोजना गुजरात, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में लागू की गई थी। इस परियोजना के तहत आश्रय बेल्ट वृक्षारोपण, मैंग्रोव वृक्षारोपण, प्रवाल प्रत्यारोपण, प्रदूषण उन्मूलन और आजीविका सुरक्षा को बढ़ाने का काम किया गया।