भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने चीन का मुकाबला करने के लिए “आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन पहल” लांच करने का निर्णय लिया

September 27, 2020

आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन पहल को सर्वप्रथम  जापान द्वारा प्रस्तावित किया गया था। इस पहल का उद्देश्य चीन पर निर्भरता को कम करना है। इसमें जापान के साथ भारत और ऑस्ट्रेलिया भी जुड़ेंगे। यह उन कंपनियों के लिए एक सीधी प्रतिक्रिया है जो चीनी राजनीतिक व्यवहार और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के बारे में चिंतित हैं।

मुख्य बिंदु

जापान ने इस  पहल के बारे में पहले ही भारत सरकार से संपर्क किया था। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के आक्रामक कदमों के साथ, भारत भी इस पहल में शामिल होगा।

इस पहल का मुख्य उद्देश्य हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करना है। इसका उद्देश्य इस क्षेत्र को आर्थिक महाशक्ति में बदलना है। साथ ही, इसका उद्देश्य क्षेत्र के देशों के बीच साझेदार संबंध बनाना है।

एससीआरआई के विचार को आसियान देशों के लिए भी खुला रखा गया है।

महत्व

इस क्षेत्र में एक मज़बूत आपूर्ति श्रृंखला बनाने की पहल के साथ, हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में लचीलापन बेहतर होगा। व्यवसायों ने अब भारत को “आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए केंद्र” के रूप में देखना शुरू कर दिया है। इसलिए, भारत सरकार ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनने और चीन के विकल्प के रूप में उभरने का आह्वान किया है।

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पीएम मोदी ने उल्लेख किया कि व्यवसाय अब भारत को आपूर्ति श्रृंखलाओं के केंद्र के रूप में देख रहे हैं।

भारत-जापान-ऑस्ट्रेलिया

इन देशों की भौगोलिक स्थिति भौगोलिक स्थिति महत्वपूर्ण हैं। चीन के कार्यों का मुकाबला करने के लिए हिन्द-प्रशांत क्षेत्रमें इन तीन देशों के कदमों के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं :

  • भारत और जापान सुरक्षा, राजनीतिक और आर्थिक सहयोग के क्षेत्रों में अपनी नई भागीदारी बना रहे हैं।
  • जापान की फ्री और ओपन हिन्द-प्रशांत रणनीति और भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के बीच अभिसरण है।
  • भारत और ऑस्ट्रेलिया पनडुब्बी रोधी युद्ध अभ्यास करते हैं। उन्होंने मजबूत पीपल-टू-पीपल संबंध स्थापित किए हैं।
  • आस्ट्रेलिया और जापान के संयुक्त उद्यम हैं जो भारत को प्रमुख तीसरे भागीदार के रूप में पहचानते हैं।