जैविक विविधता पर कन्वेंशन

April 14, 2022

जैविक विविधता पर कन्वेंशन (CBD) एक बहुपक्षीय संधि होती है और इसके तीन उद्देश्य हैं – जैविक विविधता संरक्षण हैं, घटकों का सतत उपयोग, तथा आनुवंशिक संसाधनों से पैदा होने वाले लाभों का न्यायसंगत बंटवारा।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • 1992 में रियो डी जनेरियो में हुए पृथ्वी शिखर सम्मेलन के आयोजन में, CBD (कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डाइवर्सिटी) को हस्ताक्षर के लिए खोला गया था।
  • वर्ष 1993 में, CBD को लागू किया गया था।
  • संयुक्त राष्ट्र का एकमात्र सदस्य राज्य जिसने इस सम्मेलन की पुष्टि नहीं की है, वह अमेरिका है।
  • CBD के दो पूरक समझौते हैं, नागोया प्रोटोकॉल और कार्टाजेना प्रोटोकॉल।

नागोया प्रोटोकॉल

आनुवंशिक संसाधनों तक पहुंच पर नागोया प्रोटोकॉल CBD का एक पूरक समझौता होता है। 2010 में जापान के नागोया में इस प्रोटोकॉल को अपनाया गया और 2014 में इसको लागू किया गया।

कार्टाजेना प्रोटोकॉल

जैव विविधता पर कन्वेंशन के लिए जैव सुरक्षा पर कार्टाजेना प्रोटोकॉल आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी के परिणामस्वरूप सभी जीवित संशोधित जीवों की एक देश से दूसरे देश में आवाजाही का नियंत्रण करता है। 2000 में इस प्रोटोकॉल को CBD के पूरक समझौते के रूप में अपनाया गया और 2003 में इसको लागू किया गया।

CBD का उद्देश्य

  • CBD का उद्देश्य रणनीतियों का विकास करना है ताकि जैविक विविधता को संरक्षित और स्थायी रूप से उपयोग किया जा सके।
  • CBD को आम तौर पर सतत विकास के प्रमुख दस्तावेज माना जाता है।