आंध्र प्रदेश में अब विधानपरिषद की व्यवस्था का अंत

January 30, 2020

आंध्र प्रदेश की विधानसभा ने राज्य की विधानपरिषद को समाप्त करने के लिए प्रस्ताव पारित कर दिया है। इस प्रस्ताव को 133 विधायकों का समर्थन प्राप्त हुआ। दरअसल राज्य सरकार के विधेयकों को विधानपरिषद में विरोध का सामना करना पड़ रहा है। विधानपरिषद में प्रमुख विरोधी पार्टी तेलुगु देसम पार्टी की 58 में से 27 सीटें हैं। गौरतलब है कि हाल ही में विधानपरिषद ने दो बिलों को लटकाया था, इसमें  आंध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण निरस्तीकरण बिल तथा विकेन्द्रीकरण बिल शामिल थे।

राज्य विधानपरिषद

आंध्र प्रदेश देश के उन चुनिन्दा राज्यों में से एक है जहाँ पर विधानपरिषद मौजूद है, इसके अलावा बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना  में भी विधानपरिषद मौजूद है।

संवैधानिक व्यवस्था

अनुच्छेद 169 में विधानपरिषद को परिभाषित किया गया है। नवम्बर, 2019 में 6 राज्यों में विधानपरिषद मौजूद थी। राज्यों की विधानपरिषद के सदस्यों का चुनाव निम्नलिखित विधि से किया जाता है :

  1. एक तिहाई सदस्यों का चयन स्थानीय निकायों जैसे ग्राम पंचायत, नगर पालिका तथा जिला परिषद के सदस्यों द्वारा किया जाता है।
  2. एक तिहाई सदस्यों को राज्य विधानसभा के सदस्यों द्वारा चुना जाता है।
  3. 1/6 सदस्यों को राज्यपाल द्वारा मनोनीत किया जाता है।
  4. 1/12 सदस्यों को  स्नातकों द्वारा चुना जाता है जो राज्य में पिछले तीन साल से रह रहे हैं।
  5. 1/12 सदस्यों को राज्य के अध्यापकों (सेकेंडरी स्कूल, महाविद्यालय व विश्वविद्यालय) द्वारा चुना जाता है।