सौभाग्य योजना

June 28, 2020

25 सितंबर, 2020 को प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना ने सफलता के तीन साल पूरे किए। यह योजना 2017 में देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सभी घरों के विद्युतीकरण को सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गयी थी।

मुख्य बिंदु

इस योजना की शुरुआत 16,320 करोड़ रुपये के बजट के साथ हुई थी। इसमें से 14,000  करोड़ रुपये ग्रामीण क्षेत्रोंऔर बाकी शहरी लोगों के लिए आवंटित किए गए थे। 2011 की सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) के तहत घरों की पहचान की गई थी। इस योजना के तहत वर्तमान में पात्र परिवारों को मुफ्त बिजली दी जा रही है। इस योजना के तहत लाभार्थियों को एलईडी लाइट, डीसी पावर प्लग प्रदान किया जाता है।

जून, 2019 तक 91% से अधिक भारतीय घरों को योजना के तहत विद्युतीकृत किया गया है।

प्रमुख विशेषताऐं

इस योजना के तहत, निजी क्षेत्र में शामिल DISCOMs वित्तीय सहायता के लिए पात्र हैं।

एसईसीसी के तहत कवर नहीं किए गए घरों को भी योजना में शामिल किया गया है। हालांकि, इन घरों को 500 रुपये देने होंगे।

योजना में कमियां

यह योजना बिजली क्षेत्र के संरचनात्मक मुद्दों को संबोधित नहीं करती है। यह परिवारों द्वारा लिए गए अवैध कनेक्शनों को संबोधित करने में भी विफल रही है।

कानून

विद्युत अधिनियम, 2003 के तहत केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की संयुक्त जिम्मेदारी है कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली प्रदान करें। इस अधिनियम के तहत, राज्य सरकार के परामर्श से केंद्र सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युतीकरण और स्थानीय वितरण पर एक राष्ट्रीय नीति प्रदान करनी चाहिए और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए स्टैंड-अलोन बिजली व्यवस्था करनी चाहिए।

ग्रामीण विद्युत नीति, 2006 को उपरोक्त कानून के तहत लाया गया था। इसके अलावा, 2005 में राजीव गाँधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना शुरू की गई। 2014 में, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना शुरू की गई थी।

आगे का रास्ता

भारत सरकार को अक्षय ऊर्जा को व्यापक रूप से राष्ट्रीय ग्रिड में एकीकृत करना चाहिए। वर्तमान में, भारत 73.35 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा का उत्पादन करता है।

भारत वैश्विक स्तर पर बिजली उत्पादन के मामले में तीसरे स्थान पर है और स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा के मामले में पांचवें स्थान पर है।