अरुणाचल प्रदेश :देश का पहला रेशम प्रशिक्षण व उत्पादन केंद्र

September 27, 2020

खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने अरुणाचल प्रदेश राज्य में रेशम के प्रशिक्षण व उत्पादन केंद्र की स्थापना का निर्णय लिया है। इस केंद्र को सितंबर, 2020 के पहले सप्ताह में लॉन्च किया जायेगा।

मुख्य बिंदु

केवीआईसी हथकरघा और रेशम रीलिंग मशीन जैसी मशीनरी भी प्रदान करेगा। यह केंद्र 25 स्थानीय कारीगरों को प्रशिक्षण प्रदान करेगा और इस क्षेत्र में बुनाई गतिविधियों को बढ़ावा देगा।

अरुणाचल प्रदेश में रेशम

अरुणाचल प्रदेश उत्तर पूर्व का सबसे बड़ा राज्य है जिसमें सेरीकल्चर की व्यापक संभावनाएँ हैं। राज्य रेशम की सभी चार किस्मों जैसे मल्बेरी, ओक तसर, एरी और मुगा का उत्पादन करता है। ओक तसर का उत्पादन ऊंचाई वाले क्षेत्रों में किया जाता है। एरी और मुगा को तलहटी क्षेत्रों में उत्पादित किया जाता है।

भारत में रेशम उत्पादन

भारत दुनिया में रेशम का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत के रेशम उत्पादन में 74.51% हिस्सा मलबेरी, 16.5% एरी, 8.5% तसर और 0.55% मुगा का हिस्सा है। भारत रेशम का निर्यात मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय देशों में करता है। देश में रेशम उत्पादन के कारण रोजगार सृजन 2014-15 में 8.03 मिलियन व्यक्ति हो गया था।

सिल्क समग्र

सिल्क समग्र योजना भारत के केंद्रीय रेशम बोर्ड द्वारा कार्यान्वित की जाती है। 2017 से 2020 के बीच, भारत सरकार ने देश में सेरीकल्चर विकसित करने की योजना के लिए 2,161 करोड़ रुपये का आवंटन किया। इस योजना के चार मुख्य घटक इस प्रकार हैं :

  • बीज संगठन
  • समन्वय और बाजार विकास
  • अनुसंधान विकास, प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षण का हस्तांतरण और आईटी पहल
  • गुणवत्ता प्रमाणन प्रणाली, प्रौद्योगिकी उन्नयन और निर्यात ब्रांड संवर्धन

केंद्रीय रेशम बोर्ड

यह बोर्ड एक वैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना 1948 में हुई थी। यह कपड़ा मंत्रालय के अधीन काम करता है। इस बोर्ड का मुख्यालय बैंगलोर में स्थित है। बोर्ड के मुख्य कार्य इस प्रकार हैं :

  • रेशम उद्योग को बढ़ावा देना और उसका विकास करना
  • वैज्ञानिक, आर्थिक और तकनीकी अनुसंधान को प्रोत्साहन देना
  • रेशम उद्योग के विकास से संबंधित मामलों पर केंद्र सरकार को सलाह देना