इसरो 2025 में वीनस मिशन “शुक्रयान” को लांच करेगा

October 1, 2020

30 सितंबर, 2020 को, फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी सीएनईएस ने घोषणा की कि वह इसरो के वीनस मिशन, शुक्रयान में भाग लेगी, इस मिशन को 2025 में लॉन्च किया जायेगा। इसरो के अध्यक्ष और उनके फ्रांसीसी समकक्ष ने दोनों देशों के बीच सहयोग के क्षेत्रों की समीक्षा करने पर वार्ता की।

महत्वपूर्ण बिंदु

VIRAL का अर्थ Venus Infrared Atmospheric Gases Linker instrument है, जो रूसी फेडरल स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस और LATMOS एटमोस्फीयर के साथ सह-विकसित किया गया था। मिशन मंगलयान, चंद्रयान -1 और चंद्रयान -2 के बाद, इसरो ने अब शुक्र गृह पर अपनी नजरें गड़ा दी हैं।

फ्रांस उन तीन देशों में से एक है जिनके साथ भारत अंतरिक्ष, परमाणु और रक्षा जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में सहयोग करता है। अन्य दो देश अमेरिका और रूस हैं।

2018 में, भारत और फ्रांस ने “अंतरिक्ष सहयोग के लिए संयुक्त विजन” जारी किया था।

शुक्र मिशन

अब तक, 42 शुक्र मिशनों को शुक्र ग्रह के लिए पृथ्वी पर भेजा गया है। जापान का अकात्सुकी वर्तमान में शुक्र गृह के चारों ओर उड़ रहा है।

शुक्रयान मिशन का उद्देश्य वायुमंडलीय रसायन विज्ञान, संरचनागत विविधताओं और ग्रह शुक्र की गतिशीलता का अध्ययन करना है।  पहले यह मिशन 2023 में लांच होने वाला था।

शुक्र गृह में फॉस्फीन

सितंबर 2020 में, अंतर्राष्ट्रीय खगोलविदों की एक टीम ने शुक्र के वातावरण में फॉस्फीन गैस की उपस्थिति की खोज की। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के मिशन वीनस एक्सप्रेस ने इससे पहले 2011 में शुक्र के ऊपरी वायुमंडल में ओजोन के संकेत पाए थे। इन्हें बायोमार्कर माना जाता है, यानी ग्रह में जीवन रूपों की उपस्थिति की संभावना है।

फॉस्फीन एक रंगहीन गैस है। यह अत्यधिक प्रतिक्रियाशील और ज्वलनशील है। यह पृथ्वी के वातावरण में सीमित मात्रा में मौजूद है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह ऑक्सीजन द्वारा तेजी से नष्ट हो जाती है।

ग्रह शुक्र

शुक्र सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है। इसे पृथ्वी का जुड़वा भी कहा जाता है। शुक्र की सतह का तापमान 880 डिग्री फ़ारेनहाइट तक पहुँच जाता है। इसमें 65 मील के अत्यधिक घने बादल हैं। शुक्र के चारों ओर कोई चन्द्रमा या वलय नहीं हैं।