अरुणाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में स्वायत्त क्षेत्रों पर चर्चा करने के लिए पैनल बनाया

September 27, 2020

14 अगस्त, 2020 को अरुणाचल प्रदेश सरकार ने पटकाई स्वायत्त परिषद और सोम स्वायत्त क्षेत्र के संभावित समाधानों पर चर्चा करने के लिए उपमुख्यमंत्री चोउना मीन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया।

मामला क्या है?

अरुणाचल प्रदेश की स्वायत्त परिषदों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र वर्तमान में भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत हैं। यह स्वदेशी समुदायों के लिए विशेष अधिकार प्रदान नहीं करती है। अरुणाचल को छठी अनुसूची के तहत शामिल करने की मांग की जा रही है, ताकि अरुणाचल प्रदेश के लोगों को प्राकृतिक संसाधनों का स्वामी बनाया जा सके। इसके अलावा, छठी अनुसूची स्वदेशी समुदायों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए वैध स्वामित्व को सक्षम बनाएगी।

छठी अनुसूची

छठी अनुसूची में 4 उत्तर पूर्वी राज्यों में 10 स्वायत्त जिला परिषद शामिल हैं। वे असम, मिजोरम, मेघालय और त्रिपुरा मेंहैं। इसके द्वारा स्वायत्त जिला परिषदों का गठन करके आदिवासी आबादी के अधिकारों की रक्षा की जाती है।  अनुच्छेद 244 और अनुच्छेद 275 यह विशेष प्रावधान प्रदान करते हैं।

बोरदोलोई समिति

इस समिति का गठन संविधान सभा द्वारा किया गया था। इसे पूर्वोत्तर में जनजातीय क्षेत्रों को सीमित स्वायत्तता प्रदान करने के लिए गठित किया गया था। इस समिति ने भारत में स्वायत्त प्रशासन परिषदों (Autonomous Councils) की अवधारणा को तैयार किया।

उत्तर पूर्व में 10 स्वायत्त परिषद और लद्दाख में 2 स्वायत्त परिषद हैं। वे इस प्रकार हैं :

  • मेघालय: खासी हिल्स स्वायत्त परिषद, जयंतिया हिल्स स्वायत्त परिषद और गारो हिल्स स्वायत्त परिषद
  • मिजोरम: चकमा स्वायत्त परिषद, मारा स्वायत्त परिषद, लाइ स्वायत्त परिषद
  • त्रिपुरा: त्रिपुरा ट्राइबल एरिया ऑटोनमस काउंसिल
  • असम: बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद, कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद और दिमा हसाओ स्वायत्त परिषद
  • लद्दाख: कारगिल और लेह

राज्यपाल की शक्तियां

राज्यपाल स्वायत्त जिलों को व्यवस्थित तथा पुनर्व्यवस्थित कर सकते हैं। वह स्वायत्त परिषदों के प्रशासन के तहत क्षेत्रों को बढ़ा या घटा सकता है।

स्वायत्त परिषदों की शक्तियाँ

स्वायत्त परिषद भूमि प्रबंधन, वन प्रबंधन, ग्राम परिषद के गठन, सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता, विवाह, सामाजिक रीति-रिवाजों, खनन, धन उधार, संपत्ति की विरासत, गाँव और नगर स्तर के पुलिसिंग पर कानून बना सकती हैं।