CSIR ने नकली नोटों पर रोक लगाने के लिए सुरक्षा स्याही विकसित की March 13, 2020
नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी और वैज्ञानिक व औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने हाल ही में एक बाई-ल्यूमिनसेंट सुरक्षा स्याही (bi-luminescent security ink) की खोज की है। यह स्याही प्रकाश के संपर्क में आने पर दो रंग दिखाती है।
मुख्य बिंदु
सामान्य सफेद प्रकाश के नीचे रखने पर यह स्याही सफेद रंग की दिखती है। जब पराबैंगनी (ultraviolet) प्रकाश के नीचे इस स्याही को रखा जाता है, तो यह लाल हो जाती है। बाद में जब पराबैंगनी प्रकाश बंद हो जाता है तो स्याही का रंग हरा हो जाता है। लाल रंग का उत्सर्जन प्रतिदीप्ति (fluorescence) के कारण होता है और हरे रंग का उत्सर्जन फॉस्फोरेसेंस प्रभाव (phosphorescence effect) के कारण होता है।
इस स्याही का उत्पादन 3: 1 के अनुपात में हरे और लाल दो रंगों को मिलाकर किया जाता है। इस मिश्रण से 400 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया जाता है। उच्च तापमान इस मिश्रण को बारीक सफेद पाउडर में बदल देता है। रंग के वर्णक (pigment) को एक-दूसरे से चिपकाने के लिए स्याही को थर्मल ट्रीटमेंट प्रदान किया जाता है। इस स्याही का भी इस्तेमाल अब पासपोर्ट में भी किया जाएगा।
वैज्ञानिक व औद्योगिक अनुसन्धान परिषद् (CSIR)
यह देश की अग्रणी स्वायत्त अनुसन्धान व विकास संगठन है। इसकी स्थापना 1942 में की गयी थी। यह रजिस्ट्रेशन ऑफ़ सोसाइटीज एक्ट, 1960 के तहत पंजीकृत एक स्वायत्त संस्था है। इसे मुख्य रूप से केन्द्रीय विज्ञान व तकनीक मंत्रालय द्वारा फंडिंग की जाती है। प्रधानमंत्री CSIR के अध्यक्ष होते हैं। एक सर्वेक्षण में विश्व के 1207 सरकारी संस्थानों में से इसे 9वां स्थान प्राप्त हुआ था। यह देश में 38 राष्ट्रीय अनुसन्धान प्रयोगशालाओं का संचालन करती है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।