जम्मू-कश्मीर में उझ (राष्ट्रीय) बहु-उद्देशीय परियोजना पर बैठक का आयोजन किया गया

February 5, 2020

3 फरवरी को जम्मू-कश्मीर में उझ (राष्ट्रीय) बहु-उद्देशीय परियोजना पर बैठक का आयोजन किया गया, इस बैठक की अध्यक्षता केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह द्वारा की गयी। इस बैठक में जल शक्ति मंत्री, उर्जा मंत्री तथा पंजाब सरकार के कई अधिकारी शामिल हुए।

मुख्य बिंदु

इस बैठक में सिन्धु जल संधि के तहत भारत के अधिकार के पूर्ण उपयोग पर चर्चा की गयी। रावी की सहायक नदी उझ पर एक परियोजना का निर्माण किया जाना है। इस परियोजना की सहायता से भारत  पूर्वी नदियों के जल का पूर्ण उपयोग कर पाएगा। इस परियोजना से भारत उझ नदी के 781 मिलियन क्यूबिक मीटर जल का भण्डारण करेगा।

सिन्धु जल संधि (Indus Water Treaty)

सिन्धु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच सिन्धु नदी के जल बंटवारे पर की गयी थी, इस संधि की मध्यस्थता विश्व बैंक ने की थी। इस संधि के द्वारा सिन्धु नदी तंत्र की 6 नदियों व्यास, रावी, सतलुज, सिन्धु, चिनाब और झेलम के जल बंटवारे पर संधि की गयी थी।

इस संधि पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने 19 सितम्बर, 1960 को हस्ताक्षर किये थे। यह विश्व की सबसे सफल जल संधियों में से एक है, यह जल संधि पाकिस्तान के साथ तीन युद्धों 1965, 1971 और 1999 के बाद भी बरकरार रही।

इस संधि के अनुसार रावी, व्यास और सतलुज नदी के जल का नियंत्रण भारत द्वारा किया जायेगा, जबकि सिन्धु, झेलम और चिनाब के जल का नियंत्रण पाकिस्तान द्वारा किया जायेगा। इस संधि के अनुसार भारत सिन्धु नदी के केवल 20% जल का ही उपयोग सिंचाई, उर्जा उत्पादन व परिवहन के लिए कर सकता है।

इस संधि के द्वारा दोनों देशों  के बीच सिन्धु नदी तंत्र के जल बंटवारे के लिए स्थायी सिन्धु आयोग की स्थापना की गयी है। यह एक द्विपक्षीय आयोग है जो इस संधि का प्रबंधन करता है। इस संधि के तहत दोनों देशों द्वारा कमिश्नर की नियुक्ति की जानी अनिवार्य है, जिनके दो वर्ष में एक बार बैठक होनी चाहिए। यह आयोग दोनों देशों के बीच जल बंटवारे सम्बन्धी विवादों के निपटान का प्रयास करता है।