अमेरिका का संविधान

संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान, संयुक्त राज्य अमेरिका का श्रेष्ठ कानून है। नई दुनिया की स्वतंत्रता की घोषणा के पश्चात जिस संविधान का निर्माण हुआ उसने न सिर्फ अमेरिकी जनता और राष्ट्र को एक सूत्र में बांधा बल्कि विश्व के सामने एक आदर्श भी स्थापित किया। अमेरिकी संविधान विश्व का पहला लिखा हुआ संविधान है जिसमें राज्य के स्वरूप, नागरिकों के अधिकार शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धान्त तथा न्यायिक पुनरावलोकन जैसे पहलू सम्मिलित है।

अमेरिका का संविधान एक लिखित संविधान है। सन् 1789 में लागू होने से लेकर आज तक यह बदलते परिवेश व जरूरतों के अनुरूप निरन्तर परिवर्तित तथा विकसित होता रहा हैं। चार्ल्स ए. बीयर्ड के अनुसार अमेरिका का संविधान एक मुद्रित दस्तावेज है जिसकी व्याख्या न्यायिक निर्णयों, पूर्व घटनाओं और व्यवहारों द्वारा की जाती है और जिसे समझ और आकांक्षाओं द्वारा आलोकित किया जाता है।

17 सितंबर 1787 में, संवैधानिक कन्वेंशन फिलाडेल्फिया (पेनसिलवेनिया) और ग्यारह राज्यों में सम्मेलनों की पुष्टि के द्वारा संविधान को अपनाया गया था। यह 4 मार्च 1789 को प्रभावी हुआ।

संविधान को अपनाने के बाद में भी उसमें सत्ताइस (27) बार संशोधन किया गया है। पहले दस संशोधनों (बाकी दो के साथ जो कि उस समय मंजूर नहीं हुए) 25 सितंबर 1789 को कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित किए गए थे और 15 दिसंबर, 1791 पर अमेरिका की आवश्यक तीन चौथाई द्वारा पुष्टि की गई। ये पहले दस संशोधन ‘बिल ऑफ राइट्स’ कहलाते है।

अमेरिकी संविधान में 25वां संशोधन –

अमेरिकी संविधान में 25वां संशोधन ऐसा है, जिसे लागू करके राष्ट्रपति को उसके पद से हटाया जा सकता है। साल साल 1967 में संविधान में 25वां संशोधन किया गया था। 1963 में अमेरिका के 35वें राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के बाद इस संशोधन की आवश्यकता पड़ी, ताकि राष्ट्रपति का उत्तराधिकारी का चुनाव किया जा सके

अमेरिकी संविधान के 25वें संशोधन के अंतर्गत जब कोई राष्ट्रपति मानसिक या शारीरिक रूप से स्वस्थ न हो तो उसे पद से हटाया जा सकता है, 25वें संशोधन में कुल 4 अनुभाग हैं –

अनुभाग 1 :-

यदि किसी राष्ट्रपति को उनके पद से हटाना पड़ता है, उनकी मौत हो जाती है या फिर वे किसी कारणवश इस्तीफा दे देते हैं, तो फिर इस परिस्थिति में उपराष्ट्रपति ही राष्ट्रपति का पद संभालते है।

अनुभाग 2 :-

संविधान के 25वें संशोधन के दूसरे अनुभाग के अंतर्गत, अगर उपराष्ट्रपति का पद भी खाली होता है तो फिर उस स्थिति में राष्ट्रपति, वाइस प्रेसिडेंट को नॉमिनेट करेंगे। इस प्रक्रिया में उसके द्वारा कांग्रेस के दोनों सदनों में बहुमत के आधार पर पद संभाला जाता है।

अनुभाग 3 :-

तीसरे सेक्शन में राष्ट्रपति द्वारा सत्ता सौंपने को लेकर जिक्र किया गया है। इसके अंतर्गत यदि राष्ट्रपति अपनी अक्षमता या अयोग्यता की घोषणा करने में सक्षम है, तो उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालता है।

अनुभाग 4 :-

संविधान के 25वें संशोधन में चौथा अनुभाग सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें यदि राष्ट्रपति सत्ता हस्तांतरित करने में या फिर अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में सक्षम नहीं है या अयोग्य है तो फिर उसे पद से हटाया जा सकता है।

अमेरिकी संविधान का निर्माण

अमेरिका में जिस संविधान का निर्माण किया गया वह कई चरणों एवं वाद-विवाद से गुजरा। अमेरिकी संविधान की विशेषताओ को समझने से पहले संविधान निर्माताओं के समक्ष चुनौतियों को जानना जरुरी होगा-

संविधान निर्माताओं के समक्ष चुनौतियां

  • राष्ट्र निर्माण का जो कार्य स्वतंत्रता प्राप्ति से शुरू हुआ था उसे पूर्णता तक पहुंचाना या विषमतावादी समाज को एकसूत्र में बनाए रखते हुए विकास को प्रोत्साहित करना।
  • राज्य का स्वरूप प्रजातांत्रिक अथवा संघीय होना चाहिए चाहिए।
  • वाद-विवाद का एक विषय केन्द्र बनाम राज्यों की सर्वोच्च प्रभुसत्ता को लेकर था तथा इसके अतिरिक्त कुछ अन्य मुद्दे भी थे।

प्रजातांत्रिक सरकार के समर्थकों का मत

  • प्रजातंत्र की परम्परा में विश्वास रखने वाले लोगों यह मानना था कि सरकार का कार्यक्षेत्र एवं शक्ति सीमित होनी चाहिए अर्थात् राज्यों की तुलना में केन्द्र कम शक्तिशाली हो क्योंकि केन्द्र यदि अत्यधिक शक्तिशाली होगा तो नागरिकों की स्वतंत्रता बाधित होगी और राज्यों की पहचान खत्म हो जाएगी।
  • आर्थिक मुद्दे पर इस वर्ग का यह मानना था कि संपत्ति केवल कुछ ही व्यक्तियों के हाथ में संचित न रहे तथा आय के न्यायोचित वितरण के लिए बड़े-बड़े कृषि फार्मों के स्थान पर छोटे-छोटे कृषि फार्म हों।
  • पश्चिमी क्षेत्र की भूमि का वितरण अलग-अलग ऐसे परिवारों में होना चाहिए जो इन क्षेत्रों में बस सके और स्वयं की खेती कर सके। इस वर्ग का नेतृत्व अमेरिका में थॉमस जैफरसन कर रहा था।

कुलीनतंत्री सरकार के समर्थकों का मत

  • अमेरिका में भूपतियों, व्यापारियाें एवं महाजनों द्वारा कुलीनतंत्र में विश्वास रखने वाला दूसरा वर्ग था। हैमिल्टन इस वर्ग का प्रमुख प्रवक्ता था। इस वर्ग की मान्यता थी कि बहुमत पर आधारित प्रजातांत्रिक शासन से व्यक्तिगत अधिकारों का हनन होगा। इस वर्ग का विश्वास था कि वास्तविक शक्ति जनसाधारण में नहीं होनी चाहिए बल्कि उच्च एवं बौद्धिक वर्ग में निहित होनी चाहिए क्योंकि जनसाधारण अज्ञानी तथा अनुशासहीन होते है।
  • कुलीन वर्गीय लोग एक शक्तिशाली केन्द्रीय सरकार चाहते थे क्योंकि उनका विश्वास था कि शक्तिशाली केन्द्रीय सरकार ही औद्योगिक तथा व्यापारियों के हितों की रक्षा कर सकेगी।
  • आर्थिक मुद्दे पर कुलीन वर्ग का यह विचार था कि संपति के अधिकार की गारंटी होनी चाहिए तथा सरकार ऋण देने वालों को सुरक्षा प्रदान करें। सरकार व्यापारियों, महाजनों एवं अन्य पूंजी लगाने वालो की सहायता करे। पश्चिम क्षेत्र की भूमि संबंध में यह वर्ग भूमि का सट्टा करने वाले धनिक वर्ग के स्वार्थों की रक्षा करना चाहता था।

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