फ्रांस का संविधान

फ्रांस का वर्तमान संविधान को 4 अक्टूबर 1958 को स्वीकार किया गया। इसे प्रायः पांचवें रिपब्लिक का संविधान भी कहा जाता है। वर्तमान संविधान 1946 से लागू संविधान के स्थान पर लागू हुआ जिसे ‘चौथा रिपब्लिक‘ कहा जाता था। नये संविधान को लागू करने में चार्ल्स डी गौली (Charles de Gaulle) की महत्वपूर्ण भूमिका थी। नये संविधान का प्रारूप माइकल दर्बी के द्वारा बनाया गया। लागू होने के बाद से इस संविधान का अब तक 18 बार संशोधन हो चुका है। सबसे हाल का संशोधन 2008 में किया गया था।

अनुच्छेद 1 – इसके अंतर्गत फ्रांस एक लोकतांत्रिक और सामाजिक गणराज्य है। फ्रांस एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है इसलिए, यूरोपीय संघ के संविधान पर कार्य करते समय, फ्रांसीसी प्रधान मंत्री ने ईसाई धर्म के अपने पाठ में उल्लेख का विरोध किया।

अनुच्छेद 2 – इसके अंतर्गत देश की आधिकारिक भाषा फ्रांसीसी का उल्लेख किया गया है। इसके अतिरिक्त, राज्य प्रतीकों का भी उल्लेख किया गया है।

अनुच्छेद 8– इसके अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा फ्रांसीसी प्रधान मंत्री नियुक्त किया जाना चाहिए।

अनुच्छेद 12 – इसके अंतर्गत संसद को भंग करने की प्रक्रिया का वर्णन करता है, जिसे राष्ट्रपति लागू कर सकते हैं

अनुच्छेद 88 – इसके अंतर्गत फ्रांस और यूरोपीय संघ के बीच संबंधों का वर्णन किया गया है।

फ्रांस के पाँचवें गणराज्य की मुख्य विशेषताएँ-

लिखित संविधान :-

1958 का फ्रांसीसी संविधान लिखित संविधान है। इसमें एक प्रस्तावना तथा 15 अध्यायों में 92 धाराएँ सम्मिलित है। 5वें गणतंत्र के आदर्श वाक्य के रूप में स्वतंत्रता समानता और मातृत्व की उद्घोषणा की गई है। इसमें संविधान की धारा 2 में कहा गया है कि- फ्रांस एक अविभाज्य, धर्मनिरपेक्ष, जनतांत्रिक एवं सामाजिक गणराज्य है।

1958 के फ्रांसीसी संविधान की प्रस्तावना कहती है- इसके द्वारा फ्रांसीसी जन मानव अधिकारों एवं राष्ट्रीय प्रभुसत्ता के सिद्धांतों के प्रति अपनी निष्ठा घोषित करते हैं जिनको 1789 की घोषणा में परिभाषित और 1946 के संविधान की प्रस्तावना द्वारा पूर्ण किया गया था ।

अनम्य संविधान :-

ब्रिटिश संविधान के विपरीत, फ्रांसीसी संविधान की प्रकृति अनम्य है । संशोधन के लिए इसमें एक विशेष प्रक्रिया दी गई है । इसमें संसद के दोनों सदनों में 60 प्रतिशत बहुमत के द्वारा ही संशोधन किया जा सकता है।

विकल्प के तौर पर संवैधानिक संशोधन पर राष्ट्रपति राष्ट्रीय जनमत संग्रह का आह्वान कर सकता है।लेकिन फ्रांस में सरकार के गणतांत्रिक रूप को संशोधित नहीं किया जा सकता है। अत: फ्रांस में राजतंत्र की कोई जगह नहीं है ।

एकात्मक संविधान :-

1958 के फ्रांसीसी संविधान में एकात्मक राज्य का प्रावधान किया गया है। केंद्रीय और स्थानीय या प्रांतीय सरकारों के मध्य शक्तियों का कोई विभाजन नहीं है। सारी शक्तियाँ पेरिस में स्थित एकमात्र सर्वोच्च केंद्र सरकार में निहित है।

स्थानीय सरकारों का निर्माण और उनका अंत केवल प्रशासनिक सुविधा के लिए केंद्र सरकार द्वारा की जाती है। वास्तव में ब्रिटेन की अपेक्षा फ्रांस अधिक एकात्मक है।

अर्द्ध-अध्यक्षात्मक और अर्ध-संसदीय :-

5वें गणराज्य में कोई सरकार का प्रावधान नहीं है और न ही कोई संसदीय सरकार का प्रावधान है। बल्कि इसमें दोनों के तत्त्वों का मिश्रण है । एक ओर तो इसमें शक्तिशाली राष्ट्रपति का प्रावधान किया गया है जिसका प्रत्यक्ष निर्वाचन सात साल के कार्यकाल के लिए किया जाता है और दूसरी ओर प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक मनोनीत मंत्री परिषद होती है जिसका उत्तरदायित्व संसद के प्रति होता है, परंतु मंत्री संसद के सदस्य नहीं होते हैं ।

द्विसदनीय पद्धति :-

फ्रांसीसी संविधान में द्विसदनीय विधायिका की व्यवस्था की गई है। संसद का गठन राष्ट्रीय सभा (निचला सदन) और सीनेट (ऊपरी सदन) से होता है। राष्ट्रीय सभा में पाँच साल के कार्यकाल के लिए प्रत्यक्ष तौर पर निर्वाचित 577 सदस्य होते हैं। सीनेट के 321 सदस्यों का निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से नौ वर्ष के कार्यकाल के लिए होता है। सीनेट की तुलना में राष्ट्रीय सभा अधिक आधिपत्यपूर्ण और शक्तिशाली होती है।

संवैधानिक परिषद :-

संविधान ने एक संवैधानिक परिषद की स्थापना की है। इसमें नौ वर्ष के कार्यकाल के लिए निर्वाचित नौ सदस्य होते हैं । यह एक न्यायिक पहरेदार का काम करती है और यह सुनिश्चित करती है कि कार्यकारी आदेश और संसदीय कानून संविधान के प्रावधान के अनुसार हों। परंतु यह केवल एक सलाहकार संस्था है और इसकी सलाह बाध्यकारी नहीं है ।

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