भारत का संवैधानिक इतिहास – पार्ट 1

जिन कानून और नियमों को ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में शासन व्यवस्था संचालित करने के लिए बनाया गया वे आगे चलकर भारतीय परिपेक्ष संविधान निर्माण के काम आए। जो कि संवैधानिक विकास कहलाया। 31 दिसम्बर 1600 में अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी भारत में व्यापार करने के लिए आई। ईस्ट इण्डिया कम्पनी धीरे – धीरे यहां के शासक बन बैठे। 1757 के प्लासी के युद्ध के बाद दिवानी और राजस्व अधिकार प्राप्त हो गए। व्यवस्थित शासन की शुरूआत 1773 रेग्यूलेटिंग एक्ट से की गई। इसके प्रमुख प्रावधान निम्न हैं –

1773 का रेग्यूलेटिंग एक्ट

  • ब्रिटीश क्राउन का कम्पनी पर नियन्त्रण लाया गया।
  • केन्द्रीय शासन की नींव डाली गई।
  • बंगाल के गर्वनर वारेन-हेस्टिंग्स को गर्वनर जनरल बना दिया गया। मद्रास व बम्बई के गर्वनर इसके अधीन रखे गए।
  • गर्वनर जनरल 4 सदस्यीय कार्यकारिणी बनाई गई। जिसके सारे निर्णय बहुमत से लिए जाते थे।
  • कलकत्ता में एक सर्वोच्च न्यायलय की स्थापा की गई। जिसमें मुख्य न्यायाधीश हाइट चैम्बर और लिमेस्टर को रखा गया। इसके विरूद्ध अपील लंदन की प्रिंवी काउंसिल में की जा सकती थी।
  • शासन चलाने हेतु बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल और बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर बनाए गए।
  • व्यापार की सभी सूचनाएं क्राउन को देना सुनिश्चित किया।

1784 का पिट्स इण्डिया एक्ट

  • गर्वनर जनरल की र्काकारिणी में से 1 सदस्य कम कर दिया गया।
  • कम्पनी के व्यापारिक व राजनैतिक कार्य अलग-2 किये गए।
  • व्यापारिक कार्य बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स के तथा राजनैतिक कार्य बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल के अधीन रखे गए।

1813 का एक्ट

कम्पनी पर शासन का भार अधिक होने के कारण व्यापार का क्षेत्र सभी लोगो के लिए खोल दिए गए। लकिन चीन के साथ चाय के व्यापार पर एकाधिकार बना रहा।

भारत में इसाई धर्म के प्रचार की अनुमति दी गई। और भारतीय शिक्षा साहित्य के पुर्नउत्थान हेतु 1 लाख रूपये व्यय करने का प्रावधान रखा गया।

1833 का चार्टर अधिनियम

  • गवर्नर जनरल को गर्वनर जनरल ऑफ़ इण्डिया बना दिया गया। पहले गर्वनर जनरल ऑफ़ इण्डिया विलियम बैटिंग बने।
  • टी. बी. मैकाले को विधि सदस्य के रूप में जोड़ा गया। जिसे कार्यकारिणी में मत देने का अधिकार नहीं था।
  • मैकाले कमीशन की सिफारिशों के आधार पर भारत में शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी बनाया गया तथा सरकारी नौकरीयों में भेदभाव निसेधित किया गया।
  • टी. बी. मैकाले ने शिक्षा का “अद्योविष्पन्धन सिद्धान्त” या छन – छन के सिद्धान्त या ड्रेन थ्योरी दी। जिसमें समाज के अन्य वर्ग को भी शिक्षा देना तय किया गया ।
  • इसमें सती प्रथा, दास प्रथा और कन्यावध को अवैध घोषित किया गया।

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