संविधान सभा के गठन हेतु ब्रिटिश सरकार की ओर से 24 मार्च 1946 को कैबिनेट मिशन दिल्ली आया ।
कैबिनेट मिशन में 3 सदस्य थे पैट्रिक लॉरेंस सर स्टेफोर्ड क्रिप्स ए बी एलेग्जेंडर ।
कैबिनेट मिशन ने अपनी रिपोर्ट 16 मई 1946 को पेश की।
कैबिनेट मिशन द्वारा संविधान सभा में कुल 389 सदस्य संख्या निर्धारित की गई।
प्रांतीय विधान मंडलों में निर्वाचित – 293
देशी रियासतों से मनोनीत – 93
कमिश्नर क्षेत्रों से – 4 (अजमेर-मेरवाड़ा, बलूचिस्तान,कुर्ग, दिल्ली)
कुल 389
संविधान सभा के निर्माण हेतु जुलाई 1946 हुए चुनाव में प्रांतीय विधान मंडलों में निर्वाचित 293 सदस्यों में से कांग्रेस को 208 मुस्लिम लीग को 73 विभिन्न पार्टियों को 7 एवं स्वतंत्र एवं निर्दलीय प्रत्याशियों को 8 सीटें मिली ।
चुनाव में मुस्लिम लीग को अल्पमत मिलने के कारण मुस्लिम लीग ने 16 अगस्त 1946 को प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस मनाया जिसमें उन्होंने भारत के विभिन्न भागों में सुनियोजित तरीके से दंगे फैलाए गए।
संविधान सभा की प्रथम बैठक दिल्ली में 9 दिसंबर 1946 को हुई जिसमें 207 सदस्यों ने भाग लिया एवं सभा के अस्थाई अध्यक्ष के रूप में सच्चिदानंद सिन्हा को चुना गया। जे बी कृपलानी तत्कालीन राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष थे जिन्होंने डॉ सच्चिदानंद सिन्हा का नाम अध्यक्ष पद के लिए नाम प्रस्तावित किया एवं सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इसे अनुमोदित किया संविधान सभा के प्रथम अधिवक्ता डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे ।
संविधान सभा की दूसरी बैठक 11 दिसंबर 1946 को हुई इसमें डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का अस्थाई अध्यक्ष चुना गया एवं
संविधान सभा की तीसरी बैठक 13 दिसंबर 1946 को हुई जिसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया और इसी के साथ संविधान का संविधान के निर्माण का कार्य शुरू हुआ । संविधान सभा के उपाध्यक्ष एच सी मुखर्जी थे।
संविधान के निर्माण हेतु विभिन्न समितियों का गठन किया गया जो कि निम्न प्रकार है-
संघ शक्ति समिति- पंडित जवाहरलाल नेहरु
मौलिक अधिकार समिति- सरदार वल्लभ भाई पटेल
संघ संविधान समिति -जवाहर लाल नेहरू
झंडा समिति -जे बी कृपलानी
कार्य संचालन समिति- के एम मुंशी
तदर्थ समिति -एस वर्धा
प्रांतीय संविधान समिति- सरदार वल्लभ भाई पटेल
प्रारूप समिति- डॉक्टर भीमराव अंबेडकर
राष्ट्रध्वज संबंधी तदर्थ समिति-डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद
प्रारूप समिति का गठन 29 अगस्त 1947 को हुआ जिनका अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को बनाया गया जिनका संविधान सभा में चयन पश्चिम बंगाल से हुआ था। इस समिति में 7 सदस्य थे ।प्रारूप समिति के उपाध्यक्ष के एम मुंशी थे । प्रारूप समिति की पहली बैठक 30 अगस्त 1947 को हुई। संविधान के प्रारूप पर 114 दिन बहस हुई ।
भारत के विभाजन के पश्चात संविधान सभा में सदस्यों की संख्या 299 रह गई। 229 सदस्य भारतीय प्रांतों से 70 सदस्य देशी रियासतों से थे ।राजस्थान से कुल 12 सदस्य सम्मिलित थे ।संविधान के निर्माण के लिए संविधान सभा के कुल 12 अधिवेशन एवं संविधान का तीन बार वाचन किया गया।
प्रथम वाचन 4 नवंबर 1948 से 9 नवंबर 1948 तक ( प्रथम वाचक डॉ राधाकृष्णन थे )
द्वितीय वाचन 15 नवंबर 1948 से 17 अक्टूबर 1949 तक
तृतीय वाचन 17 नवंबर 1949 से 26 नवंबर 1949 तक
संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी 1950 को हुई जिसमें संविधान सभा के कुल 284 सदस्यों ने संविधान पर हस्ताक्षर किए । इस दिन डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को राष्ट्रपति नियुक्त किया गया संविधान सभा में कुल 12 महिलाओं ने भाग लिया लेकिन 8 महिलाओं ने ही संविधान पर हस्ताक्षर किए ।महिला समूह की अध्यक्ष श्रीमती हंसा मेहता थी।
संविधान सभा ने संविधान का निर्माण 26 नवंबर 1949 ( मिति मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी संवत 2006 विक्रमी) को पूरा किया और इसी दिन इसे आत्मार्पित, अधिनियमित एवं अंगीकृत किया गया एवं इस दिन संविधान के 15 अनुच्छेद तुरंत प्रभाव से लागू कर दिए गए । इसी कारण से 26 नवंबर को विधि दिवस मनाया जाता है।
संविधान सभा का गठन कैबिनेट मिशन योजना के तहत हुआ जिसमें भारतीय संविधान को 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा एवम इसमें 63,96,729 रुपए खर्च हुए।
संपूर्ण संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआऔर इसी दिन को गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाता है और प्रथम गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 1950 को मनाया गया गणतंत्र शब्द फ्रांस से लिया गया ।