विधान परिषद कुछ भारतीय राज्यों में लोकतन्त्र की ऊपरी प्रतिनिधि सभा कहलाती है। इसके सदस्यों को अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा चुना जाता हैं। कुछ सदस्य राज्यपाल के द्वारा मनोनित किए जाते हैं। विधान परिषद विधानमण्डल का एक महत्वपूर्ण अंग है। परिषद की स्थापना के लिये एक विधेयक को विधानसभा में प्रस्तुत किया जाता है और उसके बाद राज्यपाल की अनुमति की आवश्यकता होती है। वर्ष 1969 में पश्चिम बंगाल में विधान परिषद को समाप्त कर दिया गया था।
विधान परिषद वाले राज्य:-
- आंध्र प्रदेश (50)
- तेलंगाना (40)
- उत्तर प्रदेश (100)
- बिहार (75)
- महाराष्ट्र (78)
- कर्नाटक (75)
वर्ष 2020 में आंध्र प्रदेश विधानसभा ने विधान परिषद को समाप्त करने का प्रस्ताव जारी किया। अंततः परिषद को समाप्त करने के लिये भारत की संसद द्वारा इस प्रस्ताव को अनुमति दी जानी बाकी है। वर्ष 2019 में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019 के माध्यम से जम्मू और कश्मीर विधान परिषद को समाप्त कर दिया गया।
विधान परिषद के लिए योग्यताएँ –
- भारत का नागरिक होना चाहिए।
- न्यूनतम आयु 30 वर्ष होनी चाहिए।
- मानसिक रूप से असमर्थ तथा दिवालिया नहीं होना चाहिए।
- समान समय में वह संसद का सदस्य नहीं होना चाहिए।
- इसके अतिरिक्त उस क्षेत्र (जहाँ से वह चुनाव लड़ रहा हो) की मतदाता सूची में उसका नाम भी होना चाहिए।
विधान परिषद के गठन का आधार:
- भारत में विधायिका की द्विसदनीय प्रणाली होती है।
- जिस प्रकार संसद के दो सदन होते हैं, उसी प्रकार संविधान के अनुच्छेद 169 के अनुसार राज्यों में विधानसभा के अलावा एक विधान परिषद भी हो सकती है।
अनुच्छेद 169 (गठन और उन्मूलन):
संसद एक विधान परिषद को (जहाँ यह पहले से मौजूद है) विघटित कर सकती है और (जहाँ यह पहले से मौजूद नहीं है) इसका गठन कर सकती है। यदि संबंधित राज्य की विधानसभा इस संबंध में संकल्प जारी करे। इस तरह के किसी प्रस्ताव का राज्य विधानसभा द्वारा पूर्ण बहुमत से पारित होना चाहिए।
विशेष बहुमत:-
- विधानसभा की कुल सदस्यता का बहुमत।
- विधानसभा में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के कम-से-कम दो-तिहाई सदस्यों का बहुमत।
विधान परिषद की संरचना:
- संविधान के अनुच्छेद 171 के अनुसार किसी राज्य की विधान परिषद में राज्य विधानसभा की कुल संख्या के एक तिहाई से अधिक और 40 से कम सदस्य नहीं होने चाहिए।
- राज्य सभा के समान विधान परिषद एक सतत् सदन होता है, अर्थात् यह एक स्थायी निकाय है जिसको विघटित नहीं किया जा सकता। विधान परिषद के एक सदस्य (Member of Legislative Council- MLC) का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है, जिसमें एक तिहाई सदस्य हर दो वर्ष में सेवानिवृत्त होते हैं।
विधान परिषद की निर्वाचन पद्धति:
- एक तिहाई MLC राज्य के विधायकों द्वारा चुने जाते हैं
- इसके अलावा 1/3 सदस्यों का चुनाव स्थानीय निकायों जैसे- नगरपालिका और ज़िला बोर्डों आदि द्वारा किया जाता हैं
- 1/12 सदस्यों का निर्वाचन 3 वर्ष से अध्यापन कर रहे लोगों द्वारा चुनाव किया जाता है तथा 1/12 सदस्यों को राज्य में रह रहे 3 वर्ष से स्नातक निर्वाचित करते हैं।
- शेष सदस्यों का नामांकन राज्यपाल द्वारा उन लोगों के बीच से होता है जिन्हें साहित्य, ज्ञान, कला, सहकारिता आंदोलन और समाज सेवा का विशेष ज्ञान तथा व्यावहारिक अनुभव हो।
विधान परिषद के कार्य :-
- यह उन व्यक्ति विशेष की स्थिति को सुनिश्चित करती है जिन्हें चुनाव के द्वारा नहीं चुना जा सकता है परंतु वे विधायी प्रक्रिया (जैसे कलाकार, वैज्ञानिक, आदि) में योगदान करने की क्षमता रखते है।
- यह विधानसभा द्वारा जल्दबाजी में लिये गए फैसलों पर निगरानी रख सकती है।