- जन्म -340 ई. पू.
- स्थान – मगध, भारत
- मृत्यु – 298 ई पू (42 वर्ष में)
- स्थान -श्रवण बेल्गोला, कर्नाटक
- उपाधि – सम्राट
- राज्याभिषेक – 322 ई.पू.
- शासनकाल – 322 से 298 ई. पू.
चन्द्रगुप्त मौर्य ने अंतिम नंद शासक घनानन्द की हत्या कर मौर्य वंश की स्थापना की। चन्द्रगुप्त मौर्य ने यूनानी शासक सेल्युकस निकेटर को पराजित किया। सेल्युकस ने मेगास्थनीज को अपने राजदूत के रूप में चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा था।
चन्द्रगुप्त मौर्य व सेल्यूकस के मध्य युद्ध
- सिकन्दर की मृत्यु के पश्चात सेल्यूकस बेबीलोन का राजा बना था।
- सेल्युकस ने सिन्धु नदी पार कर चन्द्रगुप्त पर आक्रमण किया जिसमें सेल्युकस की हार हुई तथा 303 ई.पू. चन्द्रगुप्त मौर्य व सेल्युकस के मध्य एक संधि हुई।
संधि
- सेल्युकस ने अपनी पुत्री हेलेना का विवाह चन्द्रगुप्त मौर्य के साथ किया।
- चन्द्रगुप्त मौर्य ने 500 हाथी उपहार में सेल्यूकस को दिए।
- सेल्यूकस ने दहेज में 4 राज्य चन्द्रगुप्त मौर्य को दिए।
- एरिया (हेरात)
- अराकोशिया (कंधार)
- जेड्रोशिया (मकरान तट, ब्लूचिस्तान)
- पेरीपेमिषदाई (काबुल)
नोट – रूद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख से चन्द्रगुप्त के पश्चिम भारत विजय का पता चलता है। इसी अभिलेख में सबसे पहले चन्द्रगुप्त नाम की प्राप्ति हुई है। यूरोपीय लेखकों ने चन्द्रगुप्त का नाम एण्ड्रोकोटस लिखा।
- चन्द्रगुप्त मौर्य के समय ही जैन धर्म 2 सम्प्रदायों में विभाजित हुआ।
- चन्द्रगुप्त मौर्य अपने जीवन के अंतिम समय में जैन साधु भद्रबाहु के साथ श्रवणबेलगोला चले गए तथा चन्द्रगिरी पर्वत (कर्नाटक) पर तपस्या करते हुए संलेखना पद्धति से अपनी जीवन लीला समाप्त की।