औषधीय पौधे

प्रकृति द्वारा दिये गये वरदानों में पेड़-पौधों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। पेड़-पौधे मानवीय जीवन चक्र में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं। इसमें न केवल भोजन संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ती ही होती है बल्कि जीव जगत से नाजुक संतुलन बनाने में भी ये आगे रहते हैं-कार्बन चक्र हो या भोजना श्रृंखला के पिरामिड में भी ये उच्च स्थान ही हासिल करते हैं। इनके उपयोग को देखते हुए इनको अनेक संवर्गों में बांटा गया है। इनमें औषधीय पौधे न केवल अपना औषधीय महत्व रखते हैं बल्कि आय का भी एक साधन बन जाते हैं। हमारे शरीर को निरोगी बनाये रखने में औषधीय पौधों का बहुत महत्व होता है। कुछ औषधीय पौधे निम्न है –

अदरक

  • वानस्पतिक नाम – जिंजिबर ऑफ़िसिनेल (Zingiber officinale)
  • उपयोगी भाग – अदरक की जड़।
  • उपयोग – सर्दी-जुकाम, खाँसी ,खून की कमी, पथरी, लीवर वृद्धि, पीलिया, पेट के रोग, वाबासीर, अमाच्चय तथा वायु सम्बंधित रोगो के लिए।

लहसुन

  • वानस्पतिक नाम – एलियम सैटिवुम (Allium sativum)
  • उपयोगी भाग – पत्तियां, तना और फूल।
  • उपयोग – हाई ब्लड प्रेशर, पेट के विकारों, पाचन विकृतियों, फेफड़े के लिये, कैंसर व गठिया की बीमारी, नपुंसकता तथा खून की बीमारी के लिए।

सर्पगंधा

  • वानस्पतिक नाम – रावोल्फिया सर्पेंटीना (Rauvolfia Serpentina) 
  • उपयोगी भाग – सर्पगंधा की जडे।
  • उपयोग – रक्‍तचाप, अनिद्रा, उन्‍माद, हिस्‍टीरिया आदि रोगों में।

सफ़ेद मूसली

  • वानस्पतिक नाम – क्लोरोफाइटम बोरीविलियेनम (Chlorophytum borivilianum)
  • उपयोगी भाग – जड़
  • उपयोग – खांसी, अस्थमा, बवासीर, चर्मरोगों, पीलिया, पेशाब संबंधी रोगों, ल्यूकोरिया आदि के उपचार हेतु।

अश्वगंधा

  • वानस्पतिक नाम – विथानिआ सोमनीफ़ेरा (Withania somnifera)
  • उपयोगी भाग – जड़, पत्तिया, फूल।
  • उपयोग – कैंसर, मधुमेह, थायराइड, अर्थराइटिस, यौन समस्या, कोलेस्ट्रॉल घटने आदि में।

कुकेन

  • वानस्पतिक नाम – सिनकोना ऑफिसिनेलिस (Cinchona officinalis)
  • उपयोगी भाग – स्तम्भ की शुष्क छाल।
  • उपयोग – मलेरिया रोग में।

ग्वार पाठा

  • वानस्पतिक नाम – एलोवेरा (Aloe vera)
  • उपयोगी भाग – पत्तिया।
  • उपयोग – दर्द निवारक, जले घावों पर, चोट में, गठिया में, पुराना बुखार, चर्म रोग, पेट व आंत के रोगों तथा कॉलेस्ट्राल कम करना, साफ़ त्वचा आदि के लिए।

अफीम

  • वानस्पतिक नाम – पैपेवर सोम्नीफेरम (Papaver somniferum)
  • उपयोगी भाग – फूल, बीज।
  • उपयोग –  शारीरिक दर्द तथा एंठन, आमातिसार, अनिद्रा, अतिसार आदि।

आँवला

  • वानस्पतिक नाम –  एम्बलिका ओफीसीनेलिस (Embelica officianalis)
  • उपयोगी भाग – फल, रस।
  • उपयोग – मूत्र संबंधी समस्याओं, एनीमिया, पीलिया और अपच में।

नीम –

  • वानस्पतिक नाम – आज़ादिरेक्ता- इण्डिका (Azadirachta indica)
  • उपयोगी भाग – सम्पूर्ण वृक्ष
  • उपयोग – शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए।

तुलसी 

  • वानस्पतिक नाम –ओसीमम् सेंक्टम (Ocimum sanctum Linn.)
  • उपयोगी भाग – सम्पूर्ण पौधा
  • उपयोग – सर्दी-जुकाम, खॉसी, दंत रोग और श्वास सम्बंधी रोग।

ब्राम्ही/ बेंग साग

  • वानस्पतिक नाम – बाकोपा मोंनिरी (Bacopa monnieri)
  • उपयोगी भाग – पत्तिया, तना।
  • उपयोग – नाड़ियों के लिये, गठिया रोग, हृदय रोग।

हल्दी 

  • वानस्पतिक नाम – करकुमा लौंगा (Curcuma longa)
  • उपयोगी भाग – भूमिगत तना।
  • उपयोग – शरीर की आंतरिक तथा बाह्य चोटों के लिए।

चिरायता 

  • वानस्पतिक नाम – स्वर्टिया चिरायता (Swertia chirata)
  • उपयोगी भाग – सम्पूर्ण पादप।
  • उपयोग – बवासीर, त्वचा रोग, अल्सर, मधुमेह।

अडूसा

  • वानस्पतिक नाम – जस्टिसिया एढ़ेटोड़ा (Justicia adhatoda)
  • उपयोगी भाग – अडूसा का पत्ता।
  • उपयोग – क्षय (टी.बी.), दमा, नेत्र रोग, फेफड़ो सम्बंधित रोग।

सहिजन / मुनगा

  • वानस्पतिक नाम – मोरिंगा ओलिफेरा (Moringa Oleifera)
  • उपयोगी भाग – सम्पूर्ण पादप
  • उपयोग – ब्लड शुगर, डायबिटीज, पाचन सम्बंधित रोग में।

महुआ 

  • वानस्पतिक नाम – लोंगफोलिआ (Madhuca longifolia)
  • उपयोगी भाग – सम्पूर्ण पादप
  • उपयोग – कुष्ठ रोग, रक्त सम्बंधित रोग में।

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