रासायनिक अभिक्रिया में एक या अधिक पदार्थ आपस में अन्तर्क्रिया करके बदलते हैं और एक या अधिक भिन्न रासायनिक गुण वाले पदार्थका निर्माण होता हैं। किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले पदार्थों को अभिकारक (रिएक्टैन्ट्स) कहा जाता हैं। अभिक्रिया के फलस्वरूप निर्मित पदार्थों को उत्पाद (प्रोडक्ट्स) कहा जाता हैं। लैवासिये के समय से ही ज्ञात है कि रासायनिक अभिक्रिया बिना किसी मापने योग्य द्रव्यमान परिवर्तन के होती है। (द्रव्यमान परिवर्तन अत्यन्त कम होता है जिसे मापना कठिन है)। इसी को द्रव्यमान संरक्षण का नियम कहा जाता हैं। अर्थात किसी रासायनिक अभिक्रिया में न तो द्रव्यमान नष्ट होता है न ही बनता है केवल पदार्थ बदलते है।
परम्परागत रूप से उन अभिक्रियाओं को ही रासायनिक अभिक्रिया कहा जाता हैं जिनमें रासायनिक बन्धों को नष्ट करने या निर्माण करने में एलेक्ट्रानों की गति उत्तरदायी होती है।
रासायनिक समीकरण
किसी रासायनिक अभिक्रिया के प्रतीक निरूपण को रासायनिक समीकरण कहा जाता हैं।
2H2O ⟶ 2H20+O2
इसमें समता चिन्ह (=) का उपयोग किया जाता है (= के स्थान पर → का भी प्रयोग किया जाता है) इसलिये इसे समीकरण कहा जाता है । समता चिन्ह के बाई ओर क्रिया करने वाले अभिकारक को लिखा जाता हैं तथा इसके दाईं ओर उत्पाद को लिखा जाता हैं। समीकरण का आधार यह है कि किसी रासायनिक अभिक्रिया में हिस्सा लेने वाले अनेक तत्वों के परमाणुओं की संख्या अभिक्रिया के उपरान्त भी अपरिवर्तित रहती है।
सबसे पहले रासायनिक समीकरण द्वारा रासायनिक अभिक्रिया का निरूपण सन 1615 में जीन बेग्विन ने किया था।
रासायनिक समीकरण का महत्व (विशेषताएँ ) :-
- क्रियाकारक और उत्पाद में सम्पूर्ण जानकारी जैसे अणुओं की संख्या, द्रव्यमान आदि मिलती हैं।
- पदार्थो की भौतिक अवस्था की जानकारी प्राप्त होती हैं।
- रासायनिक अभिक्रिया के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ जैसे – ताप, दाब, उत्प्रेरक आदि के बारे में जानकारी मिलती हैं।
- समीकरण से ऊष्माक्षेपी व ऊष्माशोषी अभिक्रिया की जानकारी प्राप्त होती हैं।
- समीकरण की उत्क्रमणीयता की जानकारी प्राप्त होती हैं।
रासायनिक गतिकी
किसी अभिक्रिया की गति का तातपर्य है कि उस अभिक्रिया के फलस्वरूप उसमें शामिल पदार्थों की सांद्रता या दाब किस गति से परिवर्तित हो रहा है। कई अभिक्रियाओं की गति में बहुत अंतर मिलता है। कुछ अभिक्रियाएं बहुत तेज गति से होती हैं जबकि कुछ अभिक्रियाएं बहुत धीमी गति से संपन्न होती हैं। रासायनिक प्रौद्योगिकी की दृष्टि से क्रिया की गति ज्यादा होने पर कोई उत्पाद का निर्माण कम समय में किया जा सकता है।
रासायनिक अभिक्रियाओं की गति तीव्र है या धीमी यह मुख्यतः अभिकारकों की सान्द्रता, पृष्ट क्षेत्रफल, दाब, ऐक्टिवेशन उर्जा, ताप एवं उत्प्रेरक की उपस्थिति/अनुपस्थिति आदि पर निर्भर होता है।
रसायनिक अभिक्रियाओं के प्रकार
- संयोजन अभिक्रिया (Combination Reaction)
- वियोजन या अपघटन अभिक्रिया (Decomposition Reaction)
- विस्थापन अभिक्रिया (Displacement Reaction)
- द्वी-विस्थापन अभिक्रिया (Double Displacement Reaction)
- उपचयन एवं अपचयन अभिक्रिया (Oxidation and Reduction Reaction)