भारत की नदियों का, देश के आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में प्राचीनकाल से ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सिन्धु तथा गंगा नदियों की घाटियों में ही विश्व की सर्वाधिक प्राचीन सभ्यताओं – सिन्धु घाटी तथा आर्य सभ्यता का आर्विभाव हुआ। आज भी देश की सर्वाधिक जनसंख्या एवं कृषि का संकेन्द्रण नदी घाटी क्षेत्रों में पाया जाता है। प्राचीन काल में व्यापारिक एवं यातायात की सुविधा के कारण देश के अधिकांश नगर नदियों के किनारे ही विकसित हुए थे तथा आज भी देश के लगभग सभी धार्मिक स्थल किसी न किसी नदी से सम्बद्ध है।
नदियों का देश कहे जाने वाले भारत में मुख्यतः चार नदी प्रणालियाँ है (अपवाह तंत्र) हैं। उत्तरी भारत में सिंधु, मध्य भारत में गंगा, उत्तर-पूर्व भारत में ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली है। प्रायद्वीपीय भारत में नर्मदा कावेरी महानदी आदि नदियाँ विस्तृत नदी प्रणाली का निर्माण करती हैं।
भारत की नदियों को तीन समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है जैसे :-
- हिमालय से निकलने वाली नदियाँ
- दक्षिण से निकलने वाली नदियाँ
- तटवर्ती नदियाँ
हिमालय से निकलने वाली नदियाँ
हिमालय से निकलने वाली नदियाँ बर्फ़ और ग्लेशियरों के पिघलने से बनती हैं अत: इनमें पूरे वर्ष के दौरान निरन्तर प्रवाह बना रहता है। हिमालय की नदियों के बेसिन बहुत बड़े होते हैं एवं उनके जलग्रहण क्षेत्र सैकड़ों वर्ग किमी. में फैले होते हैं।
हिमालय से निकलने वाली नदियों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है जो इस प्रकार है-
सिन्धु नदी-तंत्र
सिन्धु नदी-तंत्र के अन्तर्गत सिन्धु एवं उसकी सहायक नदियां सम्मिलित है। सिन्धु नदी तिब्बत के मानसरोवर झील के निकट ‘चेमायुंगडुंग’ ग्लेशियर से निकलती है। यह 2,880 किमी. लम्बी है। भारत में इसकी लम्बाई 1,114 किमी.(पाक अधिकृत सहित, केवल भारत में 709 किमी.) है। इसका जल संग्रहण क्षेत्र 11.65 लाख वर्ग किमी. है।
सिंधु नदी की सहायक नदियाँ
दायीं ओर से मिलने वाली नदियां – श्योक नदी, हुनजा नदी, गिलगित नदी, स्वात नदी, कुनार नदी, काबुल नदी, कुर्रम नदी, गोमल नदी, झोब नदी
बायीं ओर से मिलने वाली नदियां – ज़ांस्कर नदी, सुरु नदी, सुन नदी, झेलम नदी, चिनाब नदी, रावी नदी, ब्यास नदी, सतलज नदी, पानजनाद नदी
सिंधु जल समझौता
सन1960 में हुए सिंधु जल समझौते के अन्तर्गत भारत सिन्धु व उसकी सहायक नदियों में झेलम और चिनाब नदी का 20 प्रतिशत जल उपयोग कर सकता है जबकि सतलज, रावी के 80 प्रतिशत जल का उपयोग कर सकता है। सिन्धु नदी भारत से होकर तत्पश्चात् पाकिस्तान से हो कर और अंतत: कराची के निकट अरब सागर में मिल जाती है।
गंगा नदी-तंत्र
गंगा नदी उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री हिमनद (Glacier) से निकलती है जहां इसे भागीरथी नाम से जाना जाता है यह नदी देवप्रयाग में अलकनंदा संगम के बाद संयुक्त धारा गंगा नदी के नाम से जानी जाती है। इलाहाबाद के निकट गंगा से यमुना मिलती है जिसे संगम या प्रयाग कहा जाता है। प. बंगाल में गंगा दो धाराओं में बंट जाती है एक धारा हुगली नदी के रूप में अलग होती है जबकि मुख्यधारा भागीरथी के रूप में आगे बढ़ती है।
गंगा की सहायक नदियाँ
दांयी ओर मिलने वाली – यमुना नदी , टोंस नदी, सोन नदी
बांयी ओर मिलने वाली – गोमती नदी, घाघरा नदी, गण्डक नदी, बूढ़ीगंगा नदी, कोशी नदी, महानंदा नदी, ब्रह्मपुत्र नदी
ब्रह्मपुत्र नदी-तंत्र
ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम तिब्बत में मानसरोवर झील के निकट आंग्सी ग्लेशियर से होता है। तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी को सांग्पो नाम से जाना जाता है। यह नमचा बरबा पर्वत शिखर के निकट अरूणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है तब इसका नाम दिहांग होता है। बाद में इसकी 2 सहायक नदी दिबांग और लोहित के मिलने के बाद यह ब्रह्मपुत्र नाम से जानी जाती है।
ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियाँ
दांयी ओर से मिलने वाली – सुबनसिरी, कामेंग, मानस, संकोज, तीस्ता नदी ।
बांयी ओर से मिलने वाली नदियां – लोहित, दिबांग, धनश्री, कालांग नदी ।
- असोम घाटी में ब्रह्मपुत्र नदी के गुंफित होने से माजुली द्वीप का निर्माण हुआ है।
- भारत में बहने के अनुसर सबसे लम्बी नदी गंगा है और भारत में प्रवाहित होने वाली नदियों की कुल लंबाई के आधार पर ब्रह्मपुत्र सबसे लंबी नदी है।
- नदी जल की मात्रा के हिसाब से ब्रह्मपुत्र भारत की सबसे बड़ी है।
गुंफित सरिता/नदी
एक ही नदी या सरिता से उत्पन्न होने वाली लघु, उथली तथा संग्रथित सरिताओं का जाल गुंफित सरिता कहलाता है । नदी के मुहाने के निकट भूमि का ढाल अत्यंत मंद होने पर बड़ी मात्रा में मलवे का जमाव होता रहता है, जिससे डेल्टा का निर्माण होता है। इस डेल्टाई भाग में नदी का जल कई शाखाओं एवं उपशाखाओं (जल वितरिकाओं) में विभिक्त हो जाता है।