भारतीय राष्‍ट्रीय आंदोलन

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन भारतीय लोगों के हित से संबंधित जन आंदोलन था जो पूरे देश में फैल गया था। देश भर में कई छोटे बड़े विद्रोह हुए थे और कई क्रांतिकारियों ने ब्रिटिशों को बल से या अहिंसक उपायों से देश से बाहर करने के लिए मिल कर लड़ाई लड़ी और देश भर में राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया।

दिसंबर 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की नींव पड़ी। आगे चलकर इसी के नेतृत्व में विदेशी शासन से स्वतंत्रता के लिए भारतीयों ने एक लंबा और साहसपूर्ण संघर्ष चलाया और अंत में 15 अगस्त, 1947 को भारत मुक्त हो गया। वास्तव में देखा जाये तो भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन का इतिहास कांग्रेस का इतिहास है। क्योंकि प्रारम्भ से अन्त तक भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन इसी संस्था के नेतृत्व में लड़ा गया।

प्रमुख भारतीय राष्‍ट्रीय आंदोलन

  • 1857 का विद्रोह (10 मई, 1857)
  • स्वदेशी एवं बहिष्कार आंदोलन (सन 1903 )
  • विभाजन विरोधी आंदोलन (1905 )
  • होम रूल लीग मूवमेंट( 28 अप्रैल 1916)
  • खिलाफत असहयोग आंदोलन (मार्च 1919-जनवरी 1921)
  • साइमन कमिशन (1927)
  • सत्याग्रह आंदोलन (12 मार्च, 1930)
  • सविनय अवज्ञा आंदोलन (6 अप्रैल 1930 )
  • भारत छोड़ो आंदोलन (8 अगस्त, 1942 )

1857 का विद्रोह (10 मई, 1857)

1857 का भारतीय विद्रोह, जिसे प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम और भारतीय विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है  1857 का भारतीय विद्रोह भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के खिलाफ एक व्यापक लेकिन असफल विद्रोह था जिसने ब्रिटिश राज की ओर से एक संप्रभु शक्ति के रूप में कार्य किया।

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स्वदेशी एवं बहिष्कार आंदोलन ( 1903 )

स्वदेशी तथा बहिष्कार आंदोलन सरकार द्वारा बंगाल विभाजन के निर्णय के विरोधस्वरूप चलाया गया था तथा यह बंग-भंग का ही प्रतिफल था। दिसम्बर 1903 में अंग्रेज सरकार ने बंगाल विभाजन की सार्वजनिक घोषणा की थी। उनका प्रमुख उद्देश्य बंगाल को दुर्बल करना था क्योंकि उस समय बंगाल भारतीय राष्ट्रवाद का सबसे प्रमुख केंद्र था।

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विभाजन विरोधी आंदोलन (1905 )

भारतीय स्वतन्त्रता के इतिहास में बंग भंग विरोधी आन्दोलन का बहुत बड़ा महत्व है। इसमें न केवल बंगाल, अपितु पूरे भारत के देशभक्त नागरिकों ने एकजुट होकर अंग्रेजों को झुकने पर मजबूर कर दिया था। उन दिनों देश के मुसलमान भी हिन्दुओं के साथ मिलकर स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष कर रहे थे।

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होम रूल लीग मूवमेंट( 28 अप्रैल 1916)

होम रूल आंदोलन अखिल भारतीय  होम रूल लीग, एक राष्ट्रीय राजनीतिक संगठन था जिसकी स्थापना 1916 में बाल गंगाधर तिलक द्वारा भारत में स्वशासन के लिए राष्ट्रीय मांग का नेतृत्व करने के लिए “होम रूल” के नाम के साथ की गई थी। भारत को ब्रिटिश राज में एक डोमिनियन का दर्जा प्राप्त करने के लिए ऐसा किया गया था। 

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खिलाफत असहयोग आंदोलन (मार्च 1919-जनवरी 1921)

मार्च 1919 में बम्बई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया था। मोहम्मद अली और शौकत अली बन्धुओ के साथ-साथ अनेक मुस्लिम नेताओं ने इस मुद्दे पर संयुक्त जनकार्यवाही की सम्भावना तलाशने के लिए महात्मा गांधी के साथ चर्चा शुरू कर दी। सितम्बर 1920 में कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में महात्मा गांधी ने भी भाग लिया।

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साइमन कमिशन (1927)

सात ब्रिटिश सांसदो का समूह था, जिसका गठन 8 नवम्बर 1927 में भारत में संविधान सुधारों के अध्ययन के लिये किया गया था और इसका मुख्य कार्य ये था कि मानटेंगयु चेम्स्फ़ो्द सुधार कि जॉच करना था। 1928 में साइमन कमीशन भारत आया। भारतीय आंदोलनकारियों में “साइमन कमीशन वापस जाओ” के नारे लगाए और जमकर विरोध किया। साइमन कमीशन के विरुद्ध होने वाले इस आंदोलन में कांग्रेस के साथ साथ मुस्लिम लीग ने भी भाग लिया। इसे साइमन आयोग (कमीशन) इसके अध्यक्ष सर जॉन साइमन के नाम पर रखा गया था ।

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सत्याग्रह आंदोलन (12 मार्च, 1930)

न्नीसवीं शताब्दी के अंतिम दसक में गाँधी जी के दक्षिण अफ्रीका के भारतीयों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानून भंग शुरु करने तक संसार” नि:शस्त्र पतिकार’ अथवा निष्क्रिय प्रतिरोध (पैंसिव रेजिस्टेन्स) की युद्धनीति से ही परिचित था।इसकी वजह केवल काले गोर रंग के बीच भेद भाव था । यदि प्रतिपक्षी की शक्ति हमसे अधिक है तो सशस्त्र विरोध का कोई अर्थ नहीं रह जाता वे अहिंषा को मानते थे इसलिए वे यह लड़ाई लड़ रहे थे । सबल प्रतिपक्षी से बचने के लिए “नि:शस्त्र प्रतिकार‘ की युद्धनीति का अवलंबन किया जाता था। इंग्लैंड में स्त्रियों ने मताधिकार प्राप्त करने के लिए इसी “निष्क्रिय प्रतिरोध‘ का मार्ग अपनाया था। इस प्रकार प्रतिकार में प्रतिपक्षी पर शस्त्र से आक्रमण करने की बात छोड़कर उसे दूसरे हर प्रकार से तंग करना, छल कपट से उसे हानि पहुँचाना, अथवा उसके शत्रु से संधि करके उसे नीचा दिखाना आदि उचित समझा जाता था।

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सविनय अवज्ञा आंदोलन (6 अप्रैल 1930 )

1930 में महात्मा गाँधी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत की गयी जिसका प्रारंभ गाँधी जी के प्रसिद्ध दांडी मार्च से हुआ। 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से गाँधी जी और आश्रम के 78 अन्य सदस्यों ने दांडी, अहमदाबाद से 241 मील दूर स्थित भारत के पश्चिमी तट पर स्थित एक गाँव, के लिए पैदल यात्रा आरम्भ की।

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भारत छोड़ो आंदोलन (8 अगस्त, 1942 )

8 अगस्त, 1942 को महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन को समाप्त करने का आह्वान किया और मुंबई में अखिल भारतीय काँन्ग्रेस कमेटी के सत्र में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया। गांधीजी ने ग्वालिया टैंक मैदान में अपने भाषण में “करो या मरो” का आह्वान किया, जिसे अब अगस्त क्रांति मैदान के नाम से जाना जाता है।

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