- यह श्रेणी लघु हिमालय के दक्षिण में स्थित है इसका विस्तार पश्चिम में पाकिस्तान (पंजाब) के पोटवार बेसिन से पूर्व में कोसी नदी तक है।
- इसकी औसत ऊंचाई 600 से 1500 मी. के बीच है तथा चौड़ाई 10 से 50 किमी. तक है।
- शिवालिक को लघु हिमालय से अलग करने वाली घाटियों को पश्चिम में दून (जैसे – देहरादून) व पूरब में द्वार (जैसे – हरिद्वार) कहते हैं।
- यह हिमालय पर्वत का सबसे नवीन भाग है।
- शिवालिक श्रेणीयां मायो-प्लीस्टोसीन बालू कंकड तथा कांग्लोमेरिट शैल की मोटी परतों से बनी है श्विालिक को जम्मू-कश्मीर में जम्मू पहाडि़यां तथा अरूणाचल प्रदेश में डफला, मिरी, अवोर और प्रिशमी की पहाडि़यों के नाम से जाना जाता है।
- शिवालिक के निचले भाग को तराई कहते हैं यह दलदली और वनाच्छादित प्रदेश हैं। तराई से सटे दक्षिणी भाग में ग्रेट बाउंडरी फाल्ट मिलता है जो कश्मीर से असम तक विस्तृत है।
नदियों के द्वारा हिमालय क्षेत्र को प्रमुख 4 प्राकृतिक भागों में बांटा गया है –
- कश्मीर या पंजाब हिमालय – सिन्धु और सतलज नदियों के बीच फैला हुआ है। यहां हिमालय की चौड़ाई सर्वाधिक होती है। यह लगभग 560 किमी. की दुरी में फैला हुआ है।
- कुमायु हिमालय – यह सतलज एवं काली नदियों के बीच फैला हुआ है। यह लगभग उत्तराखण्ड क्षेत्र में वितृत है।
- नेपाल हिमालय – यह काली एवं तिस्ता नदियों के बीच फैला हुआ है यहां हिमालय की चौड़ाई अत्यंत कम है परन्तु हिमालय के सर्वोच्च शिखर एवरेस्ट, कंचनजंगा, मकालू आदि मिलते हैं। यह हिमालय का सबसे लम्बा एवं सर्वाधिक ऊंचाई वाला प्रादेशिक विभाग है।
- असम हिमालय – यह तिस्ता एवं दिहांग (ब्रह्मपुत्र) नदियों के बीच फैला हुआ है। इस भाग की प्रमुख नदियां दिहांग, दिवांग, लोहित एवं ब्रह्मपुत्र नदियां है।