वासुदेव चौहान (वासुदेव प्रथम)
शाकभरी का प्राचीन नाम सपादलक्ष था। सपादलक्ष का अर्थ सवा लाख गांवों का समूह। यहीं पर वासुदेव चौहान (वासुदेव प्रथम) ने चौहान वंश की नीव डाली। वासुदेव प्रथम शाकम्भरी/सांभर को अपनी राजधानी बनाया। सांभर झील का निर्माण भी इसी शासक ने करवाया।
पृथ्वीराज प्रथम
चौहान वंश का प्रथम स्वतंत्र शासक पृथ्वीराज प्रथम था। पृथ्वीराज प्रथम ने गुजरात के भडौच पर अधिकार कर वहां आशापूर्णा देवी के मंदिर का निर्माण करवाया।
अजयराज प्रथम
पृथ्वीराज के बाद अजयराज शासक बना। अजयराज ने 1113 ई. में पहाडियों के मध्य अजमेरू (अजमेर) नगर की स्थापना की और इसे नई राजधानी बनाया। अजयराज ने पहाडियों के मध्य अजमेर के दुर्ग का निर्माण करवाया। मेवाड़ के पृथ्वीराज सिसोदिया ने 15 वीं सदी में इसका नाम तारागढ़ दुर्ग कर दिया। इस दुर्ग को पूर्व का जिब्राल्टर कहा जाता है।
अर्णोराज (1133-1155 ई.)
अर्णोराज अजयराज का पुत्र था। अर्णोराज का शासनकाल 1133 -1155 ई. तक रहा।
- अर्णोराज ने 1137 ई. में आनासागर झील का निर्माण करवाया।
- पुष्कर में वराह मंदिर का निर्माण अर्णोराज ने करवाया।
विग्रहराज चतुर्थ (बीसलदेव) (1153-1164 ई.)
- बीसलदेव का कार्यकाल चौहान वंश का स्वर्णकाल कहा जाता है।
- बीसलदेव को कविबांधव भी कहा जाता है।
- बीसलदेव ने हरकेलि (नाटक) की रचना की। जिसमें शिव-पार्वती व कुमार कार्तिकेय का वर्णन है।
- बीसलदेव दरबारी कवि नरपति नाल्ह ने बीसलदेव रासो ग्रन्थ की रचना की।
- बीसलदेव कवि सोमदेव ने ललित विग्रहराज की रचना की।
- 1153 से 1156 ई. के मध्य विग्रहराज (बीसलदेव) ने अजमेर में एक संस्कृत विद्यालय का निर्माण करवाया जिसे 1200 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक ने संस्कृत विद्यालय को तुडवाकर ढाई दिन का झोपडा बनवाया।
पृथ्वीराज तृतीय (पृथ्वीराज चौहान)
1177 ई. में पृथ्वीराज चौहान ने 11 वर्ष की अवस्था में राज गद्दी संभाली। उनके पिता का नाम सोमेश्वर तथा माता का नाम कर्पूरी देवी था।
तराइन का प्रथम युद्ध (1191 ई.)
तराइन का प्रथम युद्ध पृथ्वीराज चौहान तथा मौहम्मद गौरी बीच लड़ा गया। इसमें पृथ्वी राज चौहान की विजय हुई।
तराइन का द्वितीय युद्ध (1192 ई.)
तराइन का द्वितीय युद्ध भी पृथ्वीराज चौहान तथा मौहम्मद गौरी बीच लड़ा गया। इसमें मौहम्मद गौरी की विजय हुई। इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान के स्वसुर जयचंद ने मौहम्मद गौरी का साथ दिया, क्योकि पृथ्वीराज चौहान ने जयचंद की पुत्री संयोगिता का हरण कर उससे विवाह किया था।
- पृथ्वीराज चौहान के मित्र एवं दरबारी कवि चंद्रबरदाई ने पृथ्वीराज रासो नामक ग्रन्थ। लिखा
- जयानक ने पृथ्वीराज विजय नामक ग्रन्थ लिखा।
- सूफी संत ख्वाज़ा मोइनुद्दीन चिश्ती पृथ्वी राज चौहान के समय अजमेर आये।