गैटोर की छतरियां
- नाहरगढ़ (जयपुर) में स्थित है।
- ये कछवाहा शासको की छतरियां है।
- जयसिंह द्वितीय से मानसिंह द्वितीय की छतरियां है।
बड़ा बाग की छतरियां
- जैसलमेर में स्थित है।
- यहां भाटी शासकों की छतरियां स्थित है।
क्षारबाग की छतरियां
- कोटा में स्थित है।
- यहां हाड़ा शासकों की छतरियां स्थित है।
देवकुण्ड की छतरियां
- रिड़मलसर (बीकानेर) में स्थित है।
- राव बीकाजी व रायसिंह की छतरियां प्रसिद्ध है।
छात्र विलास की छतरी
- कोटा में स्थित है।
केसर बाग की छतरी
- बूंदी में स्थित है।
जसवंत थड़ा
- जोधपुर में स्थित है।
- सरदार सिंह द्वारा निर्मित है।
रैदास की छतरी
- चित्तौड़गढ में स्थित है।
गोपाल सिंह यादव की छतरी
- करौली में स्थित है।
8 खम्भों की छतरी
- बांडोली (उदयपुर) में स्थित है।
- यह वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की छतरी है।
32 खम्भो की छातरी
- राजस्थान में दो स्थानों पर 32-32 खम्भों की छतरियां है।
- मांडल गढ (भीलवाड़ा) में स्थित 32 खम्भों की छतरी का संबंध जगन्नाथ कच्छवाहा से है।
- रणथम्भौर (सवाई माधोपुर) में स्थित 32 खम्भों की छतरी हम्मीर देव चैहान की छतरी है।
80 खम्भों की छतरी
- अलवर में स्थित हैं
- यह छतरी मूसी महारानी से संबंधित है।
84 खम्भों की छतरी
- बूंदी में स्थित है।
- यह छतरी राजा अनिरूद के माता देव की छतरी है।
- यह छतरी भगवान शिव को समर्पित है।
16 खम्भों की छतरी
- नागौर में स्थित हैं
- यह अमर सिंह की छतरी है। ये राठौड वंशीय थे।
टंहला की छतरीयां
- अलवर में स्थित हैं।
आहड़ की छतरियां
- उदयपुर में स्थित हैं
- इन्हे महासतियां भी कहते है।
17. राजा बख्तावर सिंह की छतरी
- अलवर में स्थित है।
राजा जोधसिंह की छतरी
- बदनौर (भीलवाडा) में स्थित है।
मानसिंह प्रथम की छतरी
- आमेर (जयपुर) में स्थित है।
06 खम्भों की छतरी
- लालसौट (दौसा) में स्थित है।
गोराधाय की छतरी
- जोधपुर में स्थित हैं।
- अजीत सिंह की धाय मां की छतरी है।
- नाहरगढ़ (जयपुर) में स्थित है।
- ये कछवाहा शासको की छतरियां है।
- जयसिंह द्वितीय से मानसिंह द्वितीय की छतरियां है।
बड़ा बाग की छतरियां
- जैसलमेर में स्थित है।
- यहां भाटी शासकों की छतरियां स्थित है।
क्षारबाग की छतरियां
- कोटा में स्थित है।
- यहां हाड़ा शासकों की छतरियां स्थित है।
देवकुण्ड की छतरियां
- रिड़मलसर (बीकानेर) में स्थित है।
- राव बीकाजी व रायसिंह की छतरियां प्रसिद्ध है।
छात्र विलास की छतरी
- कोटा में स्थित है।
केसर बाग की छतरी
- बूंदी में स्थित है।
जसवंत थड़ा
- जोधपुर में स्थित है।
- सरदार सिंह द्वारा निर्मित है।
रैदास की छतरी
- चित्तौड़गढ में स्थित है।
गोपाल सिंह यादव की छतरी
- करौली में स्थित है।
8 खम्भों की छतरी
- बांडोली (उदयपुर) में स्थित है।
- यह वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की छतरी है।
32 खम्भो की छातरी
- राजस्थान में दो स्थानों पर 32-32 खम्भों की छतरियां है।
- मांडल गढ (भीलवाड़ा) में स्थित 32 खम्भों की छतरी का संबंध जगन्नाथ कच्छवाहा से है।
- रणथम्भौर (सवाई माधोपुर) में स्थित 32 खम्भों की छतरी हम्मीर देव चैहान की छतरी है।
80 खम्भों की छतरी
- अलवर में स्थित हैं
- यह छतरी मूसी महारानी से संबंधित है।
84 खम्भों की छतरी
- बूंदी में स्थित है।
- यह छतरी राजा अनिरूद के माता देव की छतरी है।
- यह छतरी भगवान शिव को समर्पित है।
16 खम्भों की छतरी
- नागौर में स्थित हैं
- यह अमर सिंह की छतरी है। ये राठौड वंशीय थे।
टंहला की छतरीयां
- अलवर में स्थित हैं।
आहड़ की छतरियां
- उदयपुर में स्थित हैं
- इन्हे महासतियां भी कहते है।
17. राजा बख्तावर सिंह की छतरी
- अलवर में स्थित है।
राजा जोधसिंह की छतरी
- बदनौर (भीलवाडा) में स्थित है।
मानसिंह प्रथम की छतरी
- आमेर (जयपुर) में स्थित है।
06 खम्भों की छतरी
- लालसौट (दौसा) में स्थित है।
गोराधाय की छतरी
- जोधपुर में स्थित हैं।
- अजीत सिंह की धाय मां की छतरी है।