सोना, चांदी के आभूषण
- स्वर्ण और चांदी के आभूषण – जयपुर
- थेवा कला – प्रतापगढ़
थेवा कला में कांच पर हरे रंग से स्वर्णिम नक्काशी की जाती है। यह प्रतापगढ़ की प्रसिद्ध हस्त कला है।
- कुन्दन कला – जयपुर
स्वर्ण आभुषणों पर रत्न जड़ाई करना।
- कोफ्तगिरी – जयपुर,अलवर।
फौलाद की वस्तुओं पर सोने के तार की जड़ाई करना।
- तहरिशां – अलवर,उदयपुर
डिजायन को गहरा करके उसमें तार की जड़ाई करना।
संगमरमर पर हस्तकला
- मार्बल की मुर्तियां – जयपुर,थानागाजी(अलवर)
- रमकड़ा – गलियाकोट(डुंगरपुर)
सोपस्टोन को तराश कर बनाई गई वस्तुएं।
लाख हस्तकला
- लाख की चुडि़यां – जयपुर,जोधपुर
- लाख के आभुषण – उदयपुर
हाथी दांत हस्तकला
- हाथी दांत की वस्तुएं – जयपुर,भरतपुर,उदयपुर, पाली
- हाथी दांत एवं चन्दन की खुदाई,घिसाई एवं पेटिग्स – जयपुर
बंधेज/टाई- डाई/रंगाइ
1.चुनरी – जोधपुर
कपड़े पर छोटी – छोटी – छोटी बिन्दिया
- धनक – जयपुर,जोधपुर
कपड़े पर बड़ी- बड़ी बिन्दिया
- लहरिया – जयपुर
कपड़े पर एक तरफ से दुसरी तरफ तक धारिया
- मोठड़े – जोधपुर
कपड़े पर एक दुसरे को काटती हुई धारियां
- बेल- बूंटेदार छपाई – सांगानेर(जयपुर)
- फल-पत्तियां,पशु-पक्षियों की प्रिन्ट – बगरू(जयपुर)
7.लाॅडनू प्रिन्ट – लाॅडनू(नागौर)
- गोल्डन प्रिन्ट – कुचामन(नागौर)
- पोमचा – जयपुर
पीले रंग की ओढनी
10.जाजम प्रिन्ट – चित्तौड़गढ़
- दाबू प्रिन्ट – अकोला(चित्तौड़गढ़)
12. ओढ़नियों के प्रकार
- तारा भांत की ओढ़नी – आदिवासी महिलाएं ओढती है।
- कैरी भांत की ओढ़नी – आदिवासी महिलाएं ओढती है।
- लहर भांत की ओढ़नी – आदिवासी महिलाएं ओढती है।
- ज्वार भांत की ओढ़नी – आदिवासी महिलाएं ओढती है।
13. पगडि़यों के प्रकार
उदयशाही, भीमशाही, अमरशाही, चूणावतशाही, जसवन्तशाही, राठौड़ी, मेवाड़ी।
- अजरक प्रिन्ट – बालोत्तरा(बाड़मेर)
लाल एवं नीले रंग की ओढ़नी
- मलीर प्रिन्ट – बालोत्तरा(बाड़मेर)
काला एवं कत्थई रंग लालिमा लिये हुए।
कशीदाकारी
- गोटे का कार्य – जयपुर,खण्डेला(सीकर)
गोटे के प्रकार – लप्पा, लप्पी, किरण, गोखरू,बांकली, बिजिया, मुकेश, नक्शी।
- जरदोजी – जयपुर
कपड़े पर स्वर्णिम धागे से कढ़ाई
पाॅटरी/चीनी मिट्टी के बर्तन
1.ब्ल्यू पाॅटरी – जयपुर
आगमन – पर्शिया(ईरान)
सवाई रामसिंह प्रथम के काल में आगमन
कलाकार – श्री कृपाल सिंह शेखावत
2.ब्लैक पाॅटरी – कोटा
- सुनहरी पाॅटरी – बीकानेर
- कागजी पाॅटरी – अलवर
कपड़े की बुनाई
- ऊनी कंबल – जयपुर,जोधपुर, अजमेर
- इरानी एवं भारतीय पद्धति के कालीन – जयपुर,बाड़मेर, बीकानेर
- वियना व फारसी गलीचे – बीकानेर
- नमदे – टोंक,बीकानेर
- लोई – नापासर(बीकानेर)
- कोटा डोरिया – कैथून(कोटा)
- मसूरिया – कैथून(कोटा),मांगरोल(बांरा)
- खेसले – लेटा(जालौर),मेड़ता(नागौर)
- दरियां- जयपुर, अजमेर, लवाणा (दौसा), सालावास(जोधपुर), टांकला (नागौर)
चित्रकला
1.पिछवाईयां – नाथद्वारा(राजसमंद)
- मथैरण कला – बीकानेर
पुरानी कथाओं पर आधारित देवताओं के भित्तिचित्र बनाना
- उस्तकला – बीकानेर
ऊंट की खाल पर स्वर्णिम नक्काशी
कलाकार – हिस्सामुद्दीन
- टेराकोटा(मिट्टी के बर्तन एवं खिलौने) – मोलेला (राजसमंद), बनरावता (नागौर), महरोली (भरतपुर), बसवा(दौसा)
कागजी टेरीकोटा – अलवर
सुनहरी टेरीकाटा – बीकानेर
पीतल हस्तकला
- पीतल की खुदाई,घिसाई एवं पेटिंग्स – जयपुर, अलवर
- बादला – जोधपुर
जस्ते से निर्मित पानी को ठण्डा रखने का बर्तन
चमड़ा हस्तकला
- नागरी एवं मोजडि़या – जयपुर,जोधपुर
बिनोटा – दुल्हा- दुल्हन की जुतियां
- कशीदावाली जुतियां – भीनमाल(जालौर)
लकड़ी हस्तकला
काष्ठकला – जेढाना(डूंगरपुर),बस्सी(चित्तौड़गढ़),
बाजोट – चौकी को कहते हैं।
कठपुतलियां – उदयपुर
लकड़ी के खिलौने – मेड़ता(नागौर)
लकड़ी की गणगौर, बाजोर, कावड़,चैपडत्रा – बस्सी(चित्तौड़गढ़)
कागज हस्तकला
- कागज बनाने की कला – सांगानेर,स. माधोपुर
- पेपर मेसी(कुट्टी मिट्टी) – जयपुर
कागज की लुग्दी, कुट्टी, मुल्तानी मिट्टी एवं गोंद के पेस्ट से वस्त ुएं बनाना।
तलवार
सिरोही, अलवर, अदयपुर
तीर कमान
चन्दूजी का गढ़ा(बांसवाड़ा)
बोड़ीगामा(डूंगरपुर)