करणी माता – देशनोक (बीकानेर)

करणी माता का जन्म सं.1444 में जोधपुर के सुआप नामक गांव में हुआ। कीनिया शाखा के चारण मेहा करणी माता के पिता के एवं करणी माता की माँ का नाम देवल था। इनका विवाह साठी निवासी देवाजी बिठू के साथ हुआ, पर ये सांसारिक कार्यों से विरक्त ही रही। करणी माता देश में चूहों की देवी के रूप में प्रसिद्ध है।

करणी माता राठौडों (चारणों) की कुल देवी है।
बीकानेर से 35 किलोमीटर दूर देशनोक में करणी माता का मंदिर है।
देशनोक राष्ट्रीय राजमार्ग 89 पर स्थित है।
करणी माता के मंदिर में सफेद चूहे काबा कहलाते है
नवरात्रों में देशनोक में करणी माता का मेला लगता है।
करणी माता ने जोधपुर-बीकानेर के राज्यों को स्थापित कराने में महत्वपूर्ण सहयोग दिया।
करणी माँ की गायों का ग्वाला दशरथ मेघवाल गायों की रक्षा करते हुए मरा था।
गोधन पर आक्रमण करने वाले राव कान्हा का इन्होंने वध किया।
करणी माता के बचपन का नाम रिद्धिबाईं था।
इनका विवाह ‘साठीका गाँव’ के चारण बीठू केलु के पुत्र देवाजी बीठू से हुआ, किन्तु भोग-विलास से विरक्त होते हुए उन्होंने पति को समझाया और अपने पति का विवाह अपनी दूसरी बहिन गुलाब कुँवरी से करवाकर स्वयं देशनोक के समीप ‘जाँगव्ठू के बीड़/ नेहदी’ ( नेहडी उस खेजडी का नाम है जहाँ बैठकर करणी माता ‘विलोवणा/दही मंथन’ किया करती थी ) नामक स्थान पर रहने लगी।

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