1. भवाई नृत्य-
मेवाड़ की भवाई जाति- इसमें कलाकार सिर पर 7-8 मटके रखकर कलात्मक अदाकारियाँ करता है। भवाई में वोरा-वोरी सूरदास, शंकरिया, ढोला-मारू, आदि प्रसंग होते हैं।
2. तेरहताली नृत्य-
मारवाड़ की कामड़ जाति – कामड़ जाति की विवाहिता महिलाओं द्वारा रामदेवजी के मेले में किया जाने वाला धार्मिक लोकनृत्य है। यह तेरह मंजीरों से बैठे-बैठे किया जाने वाला नृत्य है मांगीबाई, मोहनी, नारायणी, आदि इसकी प्रसिद्ध कलाकार है।
3. कच्छी घोड़ी नृत्य-
शेखावाटी क्षेत्र- यह पुरुषों द्वारा किया जाने वाला नृत्य है इसमें नृतक बाँस की घोड़ी को अपनी कमर में बांधकर रंग-बिरंगे परिधान में आकर्षक नृत्य करता है।
4. कत्थक शास्त्रीय नृत्य-
जयपुर घराना प्रवर्तक भानुजी- कत्थक नृत्य की उत्पत्ति जयपुर घराने से मानी जाती है।