राजस्थान का इतिहास – प्रतिहार राजवंश

छठी शताब्दी में मारवाड़ में (प्राचीन समय में मारवाड़ को गुर्जरात्रा प्रदेश कहा जाता था।) प्रतिहार वंश की स्थापना हुई। गुर्जरात्रा प्रदेश के प्रतिहाररों को गुर्जर प्रतिहार कहा जाता है। ये अपनी उत्पति लक्ष्मण से मानते है। लक्षमण राम के प्रतिहार (द्वारपाल) थे। अतः यह वंश प्रतिहार वंश कहलाया। मुहणोत नेणसी ने गुर्जर प्रतिहारों की 26 शाखाओं का वर्णन किया है, इसमें सबसे प्राचीन मंडोर शाखा है।
हरिशचन्द्र (रोहिलाद्धि) को गुर्जर प्रतिहारों का आदि पुरुष (संस्थापक) माना जाता है।

नागभट्ट प्रथम

नागभट्ट प्रथम गुर्जर प्रतिहार वंश का प्रथम प्रतापी शासक हुआ जिसने अपनी राजधानी मंडोर से मेड़ता , मेड़ता से भीनमाल, और फिर उज्जैन को बनाया।

चीनी यात्री ह्वेनसांग ने गुर्जर प्रतिहार राज्य की राजधानी भीनमाल (भीं मॉल का प्राचीन नाम पीलो मोलो था।) को बताया है।

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