- विद्रोह – 10 मई 1857 – 8 जुलाई 1859
- शुरुआत – मेरठ से हुई।
कारण
- राजनैतिक कारण
- प्रशासनिक कारण
- सामाजिक व धार्मिक कारण
- आर्थिक कारण
- सैन्य कारण
- तात्कालिक कारण
- सैनिक विद्रोह के पक्षधर : लाॅरेंस, सीले, ट्रेवेलियन, मालसन, होम्स ये सब अंग्रेज इतिहासकार एवं दुर्गादास बन्दोपाध्याय और सैय्यद अहमद खां।
- एल. ई. आर. रीज के अनुसार, धर्मोंन्धों का ईसाइयों के विरूद्ध युद्ध।
- टी. आर. होम्स के अनुसार, बर्बरता तथा सभ्यता के बीच युद्ध।
- जेम्स आउट्रम और डब्ल्यू टेलर के अनुसार, हिन्दु-मुस्लिम षड़यंत्र।
- बेंजामिन डिजरायली (ब्रिटेन के रूढ़िवादी दल के नेता) ने 1857 ई. में इसे राष्ट्रीय विद्रोह बताया।
- अशोक मेहता के अनुसार, यह राष्ट्रीय विद्रोह था।
- वी. डी. सावरकर ने इसे ‘सुनियोजित स्वतंत्रता संग्राम’ की संज्ञा दी
- एस. एन. सेन के अनुसार, ‘इसे राष्ट्रीय संग्राम नहीं कहा जा सकता, परन्तु इसे सैनिक विद्रोह की संज्ञा देना भी गलत होगा, क्योंकि यह कहीं भी केवल सैनिकों तक सीमित नहीं रहा।’
- आर. सी. मजूमदार के अनुसार, ‘यह तथाकथित प्रथम राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम, न तो यह प्रथम, न ही राष्ट्रीय तथा न ही स्वतंत्रता संग्राम था।’
- शशिभूषण चौधरी के अनुसार, ‘यह स्वतंत्रता का संग्राम’ था।
विद्रोह का प्रारंभ
- 29 मार्च, 1857 को 34वीं रेजिमेंट मंगल पण्डे ने अपने साथियों को विद्रोह का आह्न किया और लेफ्टिनेंट बाग की हत्या कर दी और मेजर ह्यूरसन को गोली मार दी।
- 8 अप्रैल को मंगल पाण्डे को फांसी दे दी गयी।
- 10 मई, 1857 को मेरठ की सेना ने विद्रोह किया।
- मेरठ से सैनिक 11 मई को दिल्ली पहुंचे एवं 12 मई, 1857 को दिल्ली पर अधिकार कर लिया एवं
- सैन्य एवं असैन्य मामलों के लिए एक परिषद बनायी एवं बख्त खां को नेता चुना।
- 20 सितंबर, 1857 को अंग्रेजों ने दिल्ली को पुनः जीत लिया और निकोलसन मारा गया।
- हडसन ने सम्राट के दो पुत्रों मिर्जा मुगल एवं मिर्जा ख्वाजा सुल्तान को गोली मार दी गयी ।
- हडसन ने बहादुरशाह को गिरफ्तार कर लिया गया और निर्वासित कर रंगून भेज दिया।
- 1862 ई. में बहादुरशाह की मृत्यु हो गयी। इनकी गिरफ्तारी में इलाही बख्श ने भूमिका निभायी।
विद्रोह का प्रसार
लखनऊ
- 30 मई, 1857 को सैनिकों ने
- 4 जून, 1857 बेगम हजरत महल ने किया विद्रोह का नेतृत्व ।
- बेगम ने बिरजिस कादिर को नवाब घोषित किया।
- चीफ कमिश्नर लौरेंस मारा गया।
- 1 मार्च, 1858 को कैम्पवेलने विद्रोह को समाप्त किया।
- बेगम हजरत महल ने आत्मसमर्पण नहीं किया और वो नेपाल चली गयी।
कानपुर
कानुपर के विद्रोह का नेतृत्व नाना साहब(धोंधू पंत) ने किया। और नाना साहब को पेशवा घोषित किया गया।
नाना साहब के कमाण्डर इन चीफ तांत्या टोपे (आत्माराम पाण्डुरंग) थे। इन्हें मानसिंह ने धोखे से पकड़वा दिया। ग्वालियर में तांत्या टोपे को फांसी दी गयी।
कैम्पवेल ने कानपुर पर पुनः कब्जा कर लिया एवं नाना साहब नेपाल चले गए।
झांसी
- 5 जून, 1857 को विद्रोह शुरू हुआ जिसका नेतृत्व लक्ष्मीबाई ने किया।
- 23 मार्च 1858 में ह्यूरोज ने झांसी को घेर लिया।
- झांसी में युद्ध के पश्चात् लक्ष्मीबाई काल्पी पहुंची यहां ह्यूरोज से पराजित होने के बाद ग्वालियर पहुंची और स्मिथ की सेना को भगाया।
- ग्वालियर में स्मिथ एवं ह्यूरोज की सम्मिलित सेना से युद्ध करते हुए रानी ने वीरगति प्राप्त की।
बिहार
- बाबू कुंवर सिंह जगदीशपुर (शाहबाद) के थे ने नेतृत्व किया।
- कुंवरसिंह ने अंग्रेजों को कई बार परास्त किया एवं प्राकृतिक मौत हुई
- विलियम टेलर एवं वेंसेंट आयर ने यहां विद्रोह की समाप्ति कि।
- इलाहबाद: विद्रोह का नेतृत्व मौलवी लियाकत अली ने किया, जनरल नील ने विद्रोह समाप्त किया।
- फैजाबाद: मौलवी अहमद उल्ला ने नेतृत्व किया, कैम्पवेल ने दमन किया
- बरेली: खान बहादुर खान ने नेतृत्व किया, कैम्पवेल ने दमन किया
- मन्दसौर: फिरोजशाह ने नेतृत्व किया
- असम: कन्दर्पेश्वर सिंह एवं मनीराम दत्ता ने नेतृत्व किया
- उडीसा: सुरेन्द्रशाही एवं उज्जवल शाही ने नेतृत्व किया
- कुल्लू: राजा प्रताप सिंह एवं वीर सिंह ने नेतृत्व किया
- गोरखपुर: गजाधर सिंह ने नेतृत्व किया
- मथुरा: देवी सिंह ने नेतृत्व किया
- मेरठ: कदम सिंह ने नेतृत्व किया
असफलता के कारण
- विद्रोह का सीमित स्वरूप
- योग्य नेतृत्व का अभाव
- सशक्त केन्द्र एवं संगठन का अभाव
- सीमित संसाधन
- जन समर्थन का अभाव (शिक्षित एवं कृषक वर्ग ने उपेक्षा की)
- निश्चित समय से पहले विद्रोह की शुरूआत
- देशी राजाओं का देशद्रोही रूख
परिणाम
विद्रोह को समाप्त कर दिया गया लेकिन विद्रोह के कारण अंग्रेज हुकूमत में उथल पुथल सी मच गयी एवं भयभीत होगी। इसी क्रम में महारानी ने एक घोषणा पत्र जारी किया।
विक्टोरिया घोषणा पत्र
- भारतीय प्रशासन ईस्ट इण्डिया कंपनी से निकल कर ब्रिटिश क्राउन के हाथ में आ गया।
- गवर्नर जनरल को वायसराय कहा जाने लगा। (प्रथम वायसराय: लार्ड कैनिंग)
- ब्रिटिश सरकार अब भारत में प्रत्येक मामले के लिए उत्तरदायी हो गयी।
- इग्लैण्ड में एक भारतीय राज्य सचिव का प्रावधान हुआ।
- स्थानीय राजाओं के अधिकार एवं सम्मान को संरक्षण दिया गया।
- डलहौजी की व्यपगत नीति के सिद्धांत को समाप्त कर दिया गया।
- भारतीय सैनिकों एवं अंग्रेज सैनिकों की संख्या का अनुपात 5ः1 से घटाकर 2ः1 घोसित कर दिया गया।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
- 1857 की क्रांति के समय ब्रिटिश प्रधानमंत्री – विस्काॅन्ट पार्मस्टन
- 1857 के समय भारत का गवर्नर जनरल – लार्ड कैनिंग
- 1857 के विद्रोह का प्रत्यक्षदर्शी उर्दू शायर – मिर्जा गालिब
- नाना साहब के सलाहकार – अजी मुल्ला खां
- 1857 के विद्रोह का प्रतीक – कमल और रोटी
- विद्रोह के लिए कौनसा दिन निश्चित था – 31 मई, 1857
- विद्रोह में भाग नहीं लिया – शाहूकार, जमींदार, शिक्षित वर्ग, किसान (बहुत कम)
- 1857 के बाद फौज को नव संगठित करने के लिए आयोग बना – पील आयोग ।