- विद्रोह – 1672 ई.
- किनके बिच – किसानों और मुगलों के बीच।
- स्थान – मथुरा के निकट नारनौल नामक स्थान पर।
- नेतृत्व – सतनामी नामक एक धार्मिक संप्रदाय।
कौन थे सतनामी?
- सतनामी संप्रदाय की स्थापना “बीरभान” नामक एक संत ने नारनौल में 1657 में की थी।
- सतनामी अधिकतर किसान, दस्तकार तथा नीची जाति के लोग थे।
- सत्य एवं ईश्वर में विश्वास रखने के कारण वे अपने को सतनामी पुकारते थे।
- सतनामियों को एकेश्वरवादी संप्रदाय कहा गया है।
- इनके धार्मिक ग्रंथ को पोथी कहा जाता था।
- सतनामी अपने संपूर्ण शरीर के बालों को मूँड़कर रखते थे। इसी कारण उन्हें मुंडिया भी कहा जाता था।
विद्रोह के कारण
- सतनामी विद्रोह की शुरुआत एक सतनामी और मुगल सैनिक अधिकारी के बीच झगड़े को लेकर हुई।
- विद्रोह तब भड़क उठा जब मुगल सैनिक ने सतनामी को मार डाला।
- सतनामियों ने भी बदला लेने के लिये सैनिक को मार डाला तथा बदले में और मुगल सैनिकों को भेजा गया।
- इस विद्रोह को तब कुचला जा सका जब औरंगजेब ने विद्रोह की कमान संभाली और सतनामियों को कुचलने के लिये तोपखाने के साथ 10,000 सैनिकों को भेजा।
- विद्रोह को दबाने में स्थानीय हिन्दू ज़मींदारों (जिनमें अधिकतर राजपूत थे) ने मुगलों का साथ दिया था।