ब्रिटिश शासन का रचनात्मक प्रभाव


(1) सामाजिक जीवन में परिवर्तन-

ब्रिटिश शासन के परिणाम स्वरूप भारत में नये समाज के निर्माण के लिए नए नए विचार तथा भाव उत्पन्न हुए। जाति व्यवस्था उदार हुई तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था ने आत्मनिर्भरता तथा अलगाव की विशिष्टताओं को समाप्त किया, अन्य प्रान्त समीप आये, विवाह व जाति प्रथा में अनेक प्रकार के सुधार किए गए, भारतीय समाज के एक वर्ग ने प्राचीन अंधविश्वासों को त्याग दिया। इस प्रकार, ब्रिटिश प्रभाव ने भारत को मध्ययुग से निकाल कर आधुनिक युग में पहुँचा दिया।


(2) शिक्षा का प्रसार-

अंग्रेज़ो ने शिक्षा का प्रचार किया तथा अंग्रेज़ी को उसका माध्यम बनाया। उस समय शिक्षा जो कि ब्राम्हणों तक ही सीमित थी वह जन-सामान्य को उपलब्ध होने लगी। वास्तव में ब्रिटिश सरकार द्वारा अंग्रेज़ी शिक्षा प्रारंभ करने का कारण उनका स्वार्थ निहित था क्योंकि उन्हें एक ऐसे वर्ग की आवश्यकता थी जो निम्न प्रशासनिक कार्यों में मदद कर सके तथा भारत में ब्रिटिश शासन को बनाये रखने का आधार स्तंभ बन सके। यह सही है कि अंग्रेज़ी शिक्षा देश के हित में नहीं थी परंतु इतना अवश्य है कि इससे देश मे शिक्षा का प्रसार हुआ।


(3) परिवहन साधनों का विकास-

ब्रिटिश शासन में परिवहन साधनों का विकास किया गया हुआ, सड़कें बनाई गई तथा रेलों की स्थापना की गई। इससे अर्थव्यवस्था के विकास में मदद मिली। वास्तव में, परिवहन के साधनों का विकास इंग्लैंड में बनी वस्तुओं को गांवों तक पहुँचाने एवं वहाँ से प्राथमिक तथा कच्चा माल को मिला था न कि भारतीय उद्योगों को।


(4) संचार साधनों का विकास-

ब्रिटिश शासन के परिणामस्वरूप देश में डाकखानों की स्थापना हुई, टेलीफ़ोन सेवा उपलब्ध कराई गयी तथा तार सेवा प्रारंभ हुई। इसका अर्थव्यवस्था के विकास पर प्रभाव पड़ा। यह बात दूसरी है कि इन साधनों का विकास ब्रिटिश शासन ने अपने शासन को सुचारू ढंग से चलाने के लिए किया था।


(5) उद्योगों की स्थापना-

ब्रिटिश उद्योगपतियों ने भारत में अनेक उद्योग स्थापित किये जिसमें अनेक लोगों को रोज़गार प्राप्त हुआ तथा अर्थव्यवस्था के विकास में सहायता मिली। वास्तव में इन उद्योगों की स्थापना यहाँ सस्ते श्रम का शोषण करके पूँजीवादी के लाभों को बढ़ाना था। 
स्पष्ट है कि ब्रिटिश शासन के रचनात्मक प्रभाव अपने हित को ध्यान में रखकर किये गए न कि भारत के हित में।

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