भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन

भारत के सामुद्रिक रास्तों की खोज 15वीं सदी के अन्त में हुई जिसके बाद यूरोपीयों की भारत आने की शुरुआत हुई। यद्यपि यूरोपीय लोग भारत के अलावा भी बहुत स्थानों पर अपने उपनिवेश बनाने में सफल हुए पर इनमें से कइयों का मुख्य आकर्षण भारत ही रहा था।

भारत में आने वाली यूरोपीय कंपनियों का क्रम-

पुर्तगाली – डच – ब्रिटिश – डेनिस – फ्रांसीसी – स्वीडिश

1 पुर्तगाली (1498)

17 मई 1498 को पुर्तगाल का वास्को-डी-गमा भारत के तट पर आया जिसके बाद भारत आने का रास्ता तय हुआ। वास्को डी गामा की सहायता गुजराती व्यापारी अब्दुल मजीद ने की । उस्मने कालीकट के राजा ,जिसकी उपाधि ‘जमोरिन’, से व्यापार का अधिकार प्राप्त कर लिया पर वहाँ सालों से स्थापित अरबी व्यापारियों ने उसका विरोध किया। 1499 में वास्को-डी-गमा स्वदेश लौट गया और उसके वापस पहुँचने के बाद ही लोगों को भारत के सामुद्रिक मार्ग की जानकारी मिली।

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2 डच (1596)

सर्वप्रथम 1598 में डचों का पहला जहाज अफ्रीका और जावा के रास्ते भारत पहुँचा। 1602 में प्रथम डच ईस्ट कम्पनी की स्थापना की गई जो भारत से व्यापार करने के लिए बनाई गई थी। इस समय तक अंग्रेज और फ्रांसिसी लोग भी भारत में पहुँच चुके थे पर नाविक दृष्टि से डच इनसे वरीय थे। डचो ने मसाले के स्थान पर भारतीय कपड़ों के निर्यात को अधिक महत्व दिया। सन् 1602 में डचों ने अम्बोयना पर पुर्तगालियों को हरा कर अधिकार कर लिया।

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3 अंग्रेज (1599 ई.)

इंग्लैँड के नाविको को भारत का पता कोई 1578 इस्वी तक नहीं लग पाया था। 1578 में सर फ़्रांसिसी ड्रेक नामक एक अंग्रेज़ नाविक ने लिस्बन  जाने वाले एक जहाज को लूट लिया। इस जहाज़ से उसे भारत जाने वाले रास्ते का मानचित्र मिला। 31 दिसंबर सन् 1600 को कुछ व्यापारियों ने इंग्लैँड की महारानी एलिजाबेथ को ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना का अधिकार पत्र दिया। उन्हें पूरब के देशों के साथ व्यापार की अनुमति मिल गई। 1601-03 के दौरान कम्पनी ने सुमात्रा में वेंटम नामक स्थान पर अपनी एक कोठी खोली। विलियम हॉकिन्स नाम का एक अंग्रेज़ नाविक हेक्टेर नामक जहाज द्वारा सूरत पहुँचा।

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4 डेनिस (1616)

  • अंग्रजों के बाद डेन 1616 ई. में भारत आए।
  • डेन लोगों ने अपनी पहली फैक्ट्री की स्थापना 1620 ई. में त्रावनकोर (तंजौर) में हुई
  • डेन लोगों ने दूसरी फैक्ट्री 1676 ई. में सेरामपुर (बंगाल) में स्थापित की।
  • 1745 ई. में डेन लोगों ने अपनी सभी फैक्ट्री अंग्रेजों को बेच दी एवं भारत छोड़कर चले गए।

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5 फ़्रांसिसी (1664)

अन्य यूरोपीय कंपनियों की तुलना में फ्रांसीसी भारत में देर से आये। लुई चौदहवें फ्रांस के मंत्री कॉलबर्ट द्वारा 1664ई. में फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई, जिसे कंपने देस इण्दसे औरियंटलेस कहा गया।

फ्रांस की व्यापारिक कंपनी को राज्य द्वारा विशेषाधिकार तथा वित्तीय संसाधन प्राप्त था। इसीलिए इसे एक सरकारी व्यापारिक कंपनी कहा जाता था।

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