- स्थापना – 1875 ( भारत में इसकी स्थापना 1886 ई0 )
- संस्थापक – एंग्लो इंडियन-हेनरी विलियम डेरेजिओ (1809-1831 ई.)
- उद्देश्य -प्रेस की स्वतन्त्रता, ज़मींदारों द्वारा किये जा रहे अत्याचारों से रैय्यत की संरक्षा, सरकारी नौकरियों में ऊँचे वेतनमान के अन्तर्गत भारतीय लोगों को नौकरी दिलवाना
यंग बंगाल, बंगाल के क्रांतिकारी बंगाली स्वतंत्र चिन्तकों का एक समूह था जो कोलकाता के हिन्दू कॉलेज से सम्बन्धित थे। ये सभी हिन्दू कॉलेज के क्रांतिकारी शिक्षक हेनरी लुई विवियन डिरोजिओ (जन्म 1801 – मृत्यु 1831) के अनुयायी थे। डिरोजियो हिन्दू कालेज में 1826 से 1831 तक पदस्थ थे।1875 में यंग बंगल की स्थापना हुई थी जबकि भारत में इसकी स्थापना 1886 ई0 में हुई। इस आन्दोलन के सदस्य मुक्त चिन्तन की भावना से प्रेरित थे तथा तत्कालीन हिन्दू समाज की सामाजिक एवं धार्मिक संरचना के विरुद्ध विद्रोही भावना रखते थे। इस दल में कुछ ईसाई (जैसे-अलेजैण्डर डफ) भी थे जो मिशनरी थे और हिन्दुओं के धर्मान्तरण के लिए तरह तरह के उपाय करते रहते थे। लालबिहारी इनके ही शिष्य थे जिन्होने हिन्दू धर्म का त्याग कर दिया था। कुछ यंग-बंगाली अपने बाद के दिनों में ब्रह्म समाज आन्दोलन में भी घुसे और उसे प्रभावित करने का प्रयत्न किया। किन्तु यह आन्दोलन स्थाई प्रभाव नहीं छोड़ पाया। डिरोजियो को आधुनिक भारत का प्रथम राष्ट्रवादी कवि भी कहा जाता है, ये कोलकाता हिन्दू कॉलेज में इतिहास के प्राध्यापक थे।
प्रमुख सदस्य
- कृष्णमोहन बन्द्योपाध्याय
- रसिककृष्ण मल्लिक
- दक्षिणारंजन मुखोपाध्याय
- रामगोपाल घोष
- माधबचन्द्र मल्लिक
- रामतनु लाहिड़ी
- महेशचन्द्र घोष
- शिबचन्द्र देब
- हरचन्द्र घोष
- राधानाथ सिकदर
- गोबिन्दचन्द्र बसाक
- अमृतलाल मित्र
- प्यारीचाँद मित्र