अलीगढ़ आन्दोलन (1875)

  • स्थापना -1875
  • संस्थापक – सर सैयद अहमद खाँ
  • उद्देश्य – मुसलमानों में धार्मिक सुधारों के लिए

अलीगढ़ आन्दोलन के प्रवर्तक सर सैयद अहमद खां थे। यह आन्दोलन अंग्रेजी शिक्षा एवं ब्रिटिश सरकार के साथ सहयोग के पक्ष में था।
इस आन्दोलन का उद्देश्य मुसलमानों को अंग्रेजी शिक्षा देकर उन्हें अंग्रेजी राज का भक्त बनाकर नौकरियों में अधिकाधिक आरक्षण प्राप्त करना था।
इस आन्दोलन में सैयद अहमद के मुख्य सहयोगी चिराग अली, नजीर हमद, अल्ताफ हुसैन एवं मौ. शिबली नोमानी थे।

यह एक व्यवस्थित आंदोलन था जिसका मूल उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षिक पहलुओं में सुधार करना था।

यह आंदोलन सिर्फ पारंपरिक शिक्षाओं पर ध्यान केंद्र करने के बजाय अंग्रेज़ी सीखने और पश्चिमी शिक्षा के माध्यम से मुस्लिम शिक्षा को आधुनिक शिक्षा में बदलने के लिये आरम्भ किया गया था।

सर सैयद द्वारा वर्ष 1864 में अलीगढ़ में पश्चिमी कार्यों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने, मुस्लिमों को पश्चिमी शिक्षा को अपनाने तथा मुस्लिमों के बीच वैज्ञानिक मनोभाव को विकसित करने के लिये साइंटिफिक सोसाइटी की स्थापना की गई।

अलीगढ़ इंस्टीट्यूट गजट, सर सैयद द्वारा प्रकाशित पत्रिका साइंटिफिक सोसाइटी का ही एक अंग था।

वर्ष 1877 में इनके द्वारा ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालयों की तर्ज पर मुहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना की गई जो बाद में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ।

अलीगढ़ आंदोलन ने मुस्लिमों के पुनरुत्थान के लिये कार्य किया, साथ ही इस आंदोलन द्वारा मुस्लिम समाज को एक आम भाषा (उर्दू) दी गई।

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