अफगान विद्रोह (1667)

  • समय – 1667
  • नेतृत्व –  रोशनाई नामक सम्प्रदाय 
  • परिणाम –  मथुरा ने निकट स्वतंत्र राज्य की स्थापना की गयी

1667 ई. में युसुफजई कबीले के सरदार ‘भागू’ ने स्वंय को राजा घोषित कर दिया। इस विद्रोह का उद्देश्य पृथक अफगान राज्य की स्थापना करना था। अमीर खां के नेतृत्व में यह विद्रोह दबा दिया गया परन्तु बाद में अकमल खां के नेतृत्व में पुनः विद्रोह हुआ जिसे स्वयं औरंगजेब ने जाकर शांत किया।

1667 ई.में युसुफजई कबीले ( पश्चिमोत्तर क्षेत्र में स्थित ) के एक सरदार भागू ने एक प्राचीन शाही खानदान का वंशज होने का दावा करने वाले एक व्यक्ति मुहम्मदशाह को राजा और स्वयं को उसका वजीर घोषित करके विद्रोह कर दिया। 

अमीर खाँ के नेतृत्व में मुगलों द्वारा इस विद्रोह को दबाया गया।

1672ई. में अफगानों ने अफरीदी सरदार अकमल खाँ के नेतृत्व में  फिर विद्रोह का झंडा बुलंद कर दिया। उसने स्वयं को राजा घोषित किया।उसने अपने नाम का खुतबा पढवाया तथा सिक्का चलवाया।

1675 ईं में औरंगजेब ने स्वयं जाकर शक्ति और कूटनीतिक प्रयासों द्वारा अफगानों की एकता तोङी और शांति स्थापित की।

अफगान विद्रोह का कारण पृथक अफगान राज्य की स्थापना का उद्देश्य था।इस विद्रोह को रोशनाई नामक धार्मिक आंदोलन ने पृष्ठभूमि प्रदान की थी।

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