गोंडवाना का विजय अभियान 

  • युद्ध – 1564 ई.
  • युद्ध के लिए – आसफ ख़ाँ’ को भेजा
  • परिणाम – अकबर की विजय

गोंड़वाना में महोबा की चंदेल रानी दुर्गावती का राज्‍य था। अबुल फजल ने उसके प्रशासन, चरित्र, वीरता की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। इस पर अकबर और कड़ा के राज्‍यपाल आसफ खां ने अकारण ही आक्रमण किया। 

गोंडवाना राज्य का विस्तार पूर्व में रतनपुर से लेकर पश्चिम में रायसीन तक और उत्तर में रीवा से लेकर दक्षिण की सीमाओं तक था।

इसके शासक वीर नारायण थे लेकिन इसके वास्तविक शासक उनकी माता, रानी दुर्गावती, महोबा की एक चंदेल राजकुमारी थीं।

दुर्गावती एक बहादुर और सफल शासक थी। उसने अकबर को कोई अपराध नहीं दिया था।

गोंडवाना पर हमले का कारण पूरी तरह से अकबर का साम्राज्यवादी बनावट था, जिसने 1564 ई. में इस कार्य पर आसफ खान की प्रतिनियुक्ति की थी और वीर नारायण और दुर्गावती ने नरही में मुगलों का सामना किया था।

वीर नारायण घायल हो गए थे और चौरागढ़ के किले में सुरक्षा के लिए वापस जाने के लिए बाध्य थे।

रानी दुर्गावती भी अगले दिन घायल हो गई थीं और दुश्मन द्वारा पकड़े जाने के बजाय खुद को मारना पसंद किया था।

मुगुल सेना ने फिर चौरागढ़ पर आक्रमण किया।

वीर नारायण बहादुरी से लड़े लेकिन लड़ते लड़ते मर गए और किले पर मुगलों ने कब्जा कर लिया। इसके बाद गोंडवाना पर मुगल साम्राज्य ने कब्जा कर लिया गया।

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