सुहरावर्दी सिलसिला

  • संस्थापक – शेख बहाउद्दान जअब्दुल-वाहिद अबू नजीब के रूप में सुहरावर्दी।
  • सुदृढ़ संचालन का श्रेय – शेख़ बदरुद्दीन जकारिया।

सुहरावर्दी सिलसिला सल्तनत काल का प्रधान सम्प्रदाय था। वह एक खुरासानी थे और शेख शहाबद्दीन सहरावर्दी के शिष्य थे,जिन्होंने बगदाद में इस सिलसिला की शुरुआत की थी। शेख शहाबद्दीन सुहरावर्दी के आदेश से शेख बहाउद्दान जकरिया भारत आये। मुल्तान और सिंध को उन्होंने अपनी गतिविधि का केन्द्र बनाया।

अतः उन्होंने मुल्तान में जिस खानकाह की स्थापना की उसकी गिनती भारत में स्थापित आरंभिक खानकाहों में होती है। उस समय दिल्ली का सुल्तान इल्तुतमिश था, पर मुल्तान पर उसके दुश्मन कुबाचा का आधिपत्य था। शख बहाउद्दीन जकरिया खुले आम कुबाचा के प्रशासन की आलोचना किया करता था ।

इल्तुतमिश तथा मुल्तान के शासक कुबाचा के बीच हुए संघर्ष में शेख ने खुले आम इल्तुतमिश का पक्ष लिया। कुबाचा के पतन के बाद इल्तुतमिश ने बहाउद्दीन जकरिया को शेख-उल इस्लाम (इस्लाम का प्रमुख) विद्वान का खिताब प्रदान किया और अनुदान की व्यवस्था की। समकालीन चिश्ती संतों के विपरीत उन्होंने व्यावहारिक नीति अपनाई। और काफी सम्पत्ति इकट्ठी की। उन्होंने राज्य का संरक्षण स्वीकार किया और शासक वर्ग से अपना संबंध बनाए रखा। बाद में इस सम्प्रदाय से कई स्वतंत्र शाखाओं का जन्म हुआ। इनमें से कुछ को “बेशर(अवैध संप्रदाय) भी कहा जाता था।

शेख शहाबुद्दीन सुहरावर्दी ने शेख बहाउद्दीन जकरिया के अलावा कई अन्य खलीफाओं (प्रमुख शिष्य) को सुहरावर्दी सिलसिला के प्रचार-प्रसार के लिए भारत भेजा। शेख जलालुद्दीन तबरीज़ी उन्हीं में से एक थे।। दिल्ली में अपना प्रभुत्व जमाने में वह असफल रहे और बंगाल चले गये। वहाँ उन्होंने अपनी खानकाह स्थापित की और कई शिष्य बनाए।

उन्होंने अपने खानकाह में लंगर (मुफ्त भोजन) की भी व्यवस्था की। यह कहा जाता है कि बंगाल में इस्लामीकरण की प्रक्रिया में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सल्तनत काल में पंजाब, सिंध और बंगाल सूहरावर्दी गतिविधि के तीन प्रमुख केन्द्र थे। विद्वानों की आम राय है कि सुहरावर्दी सूफ़ियों ने हिंदुओं को इस्लाम धर्म अपनाने को प्रेरित किया और इसमें उन्हें शासक व की सहायता मिली।

इस दृष्टि से सुहरावर्दी और चिश्ती सूफ़ियों में जमीन-आसमान का फर्क था। सूफ़ियों ने अपनी शिक्षा के माध्यम से धर्म परिवर्तन करना अपना लक्ष्य नहीं बनाया।

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