छठी शताब्दी के अंतिम चरण में गुप्त साम्राज्य के अंत के साथ भारतीय राजनीति में कई नए राज्यों का उदय हुआ। गुप्तों के अंत के बाद उत्तर में कन्नौज राजनीतिक ताकत का प्रमुख केन्द्र बिंदु बन गया।
पूर्व मध्यकालीन प्रमुख राजवंश
उत्तर भारत –
- पुष्य भूति वंश (थानेश्वर, हरियाणा)
- मौखरी वंश (कन्नौज)
- पाल वंश, सेन वंश (बंगाल)
- राजपूत वंश
- गुर्जर प्रतिहार वंश (गुजरात)
- चौहान वंश (दिल्ली)
- चन्देल वंश (बुंदेलखंड/जेजाक भुक्ति)
- परमार वंश (मालवा)
- चालुक्य (सोलंकी) वंश (अन्हिलवाड, गुजरात)
- हिंदुशाही वंश (गांधार)
दक्षिण भारत –
- चालुक्य वंश (वातापी)
- पल्लव वंश (कांची)
- पांड्य वंश (मदुरा)
- चोल वंश (चोलमण्डलम्)
- राष्ट्रकूट वंश (मान्यखेत)
पाल वंश (बंगाल)
- पाल वंश की स्थापना बौद्ध धर्म के अनुयायी गोपाल के द्वारा की गयी थी।
- गोपाल ने बिहार शरीफ के पास ओदन्तीपुरी विहार की स्थापना करवायी थी।
गुजरात का चालुक्य वंश
गुजरात के चालुक्य वंश की स्थापना मूलराज-1 ने की एवं अपनी राजधानी अन्हिलवाड़ को बनाया था। भमी-1 के सामन्त विमल शाह ने माउन्ट आबू, राजस्थान में दिलवाड़ा जैन मंदिर का निर्माण करवाया था। भीम-1 के समय महमूद गजनवी ने सोमनाथमंदिर पर आक्रमण किया था तथा भारी लूटपाट की थी। मूलराज-2 ने 1178 ई. में आबू पर्वत के समीप मुहम्मद गौरी को परास्त किया।1187 ई. में कुतुबुद्दीन एबक ने भीम-2 को परास्त किया था।
चंदेल वंश (जेजाक भुक्ति)
चंदेल वंश का प्रथम शासक ननुक था, चंदेल प्रतिहारों के सामन्त थे, यशोवर्मन ने खजुराहो के चतुर्भुज मंदिर (विष्णु मंदिर) बनवाया। धंगदेव ने खजुराहो में अनेक मंदिरों का निर्माण कराया । कीर्तिवर्मन ने महोबा के निकट कीरत सागर का निर्माण करवाया।
चौहान वंश (शाकम्भरी, अजमेर के निकट)
- शाकंभरी में चौहान वंश की स्थापना वासुदेव के द्वारा की गयी थी
- अजयराज ने अजमेर (अजयमेरू) नगर की स्थापना की थी।
- प्रारंभ में चौहान शासक प्रतिहारों के सामंत थे। दसवीं शताब्दी के प्रारंभ में वाक्पति राज प्रथम ने प्रतिहारों से स्वंय को स्वतंत्र कर लिया।
राष्ट्रकूट वंश
राष्ट्रकूटों के अभिलेख में उनका मूल स्थान लट्टलूर (लातूर, बीदर जिला) माना गया है किन्तु बाद में एलिचपुर (बरार) में इस वंश का राज्य स्थापित हुआ।
गुप्त साम्राज्य के पतन के परिणाम
- भारत के अनेक भागों में राजनीतिक सत्ता के अनेक स्वतंत्र केन्द्रों का उदय।
- भारत में बहु-राज्यवादी व्यवस्था के विस्तार का आरम्भ ।
- जाति व्यवस्था अत्यधिक जटिल हो गयी एवं समाज रूढ़िवादी हो गया था ।
- अर्थव्यवस्था का पतन शुरू हुआ एवं सर्वत्र सामंतवाद की जड़े मजबूत हो गयी ।
- उत्तर भारत में राजनीतिक अराजकता की स्थित बन गयी।
- राजनीतिक अस्थिरता एवं अनके छोटे राज्यों के बनने के कारण विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा भारतीय हिस्सों को जीतना आसान हो गया।